
-देवेंद्र यादव-

बिहार में कांग्रेस और राहुल गांधी का आगाज जितना बेहतर हुआ क्या उसका अंजाम भी उतना ही बेहतर होगा! राहुल गांधी की एक के बाद एक लगातार तीसरी यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा रखी है। समझा जा रहा है कि बिहार को लेकर राहुल गांधी गंभीर हैं और बिहार कांग्रेस को लेकर राहुल गांधी की गंभीरता का प्रमाण बिहार कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के अलावा अधिकांश जिलों के जिला अध्यक्षों को बदलने से नजर आता है। राहुल गांधी ने 7 अप्रैल सोमवार के दिन बिहार का तीसरा दौरा किया। बिहार के बेगूसराय में राहुल गांधी ने न्याय यात्रा भी निकाली जिसमें बड़ी संख्या में जन सैलाब को देखकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का नजारा आंखों के सामने आ गया। लग रहा है कि बिहार में कांग्रेस अब अवसर नहीं ढूंढ रही बल्कि बिहार की सत्ता में वापसी करने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखाई दे रही है।
2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी का आगाज इतना बेहतर है क्या उतना ही बेहतर अंजाम भी होगा ? यह सवाल इसलिए है क्योंकि 2014 के बाद से अब तक राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी का चुनाव की घोषणा होने से पहले कुछ ऐसा ही आगाज होता है मगर अंजाम क्या होता है यह सभी जानते हैं। राहुल गांधी के जबरदस्त आगाज को अंजाम तक पहुंचने से पहले ही कांग्रेस के नेता मुगालते में आ जाते हैं और नतीजा यह होता है कि कांग्रेस की हवा बनने की जगह हवा निकल जाती है। कांग्रेस जीती हुई बाजी को अंत में हार जाति है। बिहार कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता राहुल गांधी के जबरदस्त आगाज को लेकर मुगालता नहीं पालें बल्कि राहुल गांधी के जबरदस्त आगाज को अंजाम तक पहुंचाएं।
राहुल गांधी की न्याय यात्रा में उमड़े जन सैलाब को देखकर बिहार में भारतीय जनता पार्टी चिंतित और सतर्क नहीं होगी बल्कि कांग्रेस के वह स्थानीय नेता अधिक चिंतित और सतर्क होंगे जो लंबे समय से बिहार कांग्रेस पर अपना कब्जा जमा कर बैठे हुए थे। जिस प्रकार से राहुल गांधी ने बिहार के बेगूसराय से न्याय यात्रा का आगाज किया है वह बेगूसराय छात्र नेता डॉक्टर कन्हैया कुमार की जन्म भूमि है। कन्हैया बिहार में पलायन रोको रोजगार दो यात्रा निकाल रहे हैं और इस यात्रा में 7 अप्रैल सोमवार के दिन राहुल गांधी शामिल हुए हैं। राजनीतिक गलियारों में यह आवाज सुनाई देने लगी है कि राहुल गांधी कन्हैया कुमार को बिहार में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। मतलब यदि बिहार में कांग्रेस को अच्छी विधानसभा सीट मिली तो कन्हैया कुमार मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। वैसे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में नाम बिहार कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष राजेश राम और युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गरीबदास का भी चर्चा में है। इसीलिए मैंने कहा है कि कांग्रेस अपना आगाज बेहतर करें लेकिन मुगालता नहीं पाले और अपने आगाज को अंजाम तक पहुंचाएं। जैसे झारखंड के विगत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किया। झारखंड में कांग्रेस ने मुगालता नहीं पाला बल्कि चुनाव के अंतिम दौर में झारखंड में हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन और बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की ऐसी तिकड़ी बनी की कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली और झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार रिपीट हुई।
कांग्रेस बिहार में कोई मुगालता नहीं पाले और झारखंड की तर्ज पर पप्पू यादव को साथ लेकर और जिम्मेदारी देकर आगे बढ़े तो कांग्रेस के आगाज में चार चांद लग जाएंगे। कांग्रेस अंजाम तक पहुंच जाएगी। बिहार में कांग्रेस इस भ्रम में ना रहे की जदयू नेता नीतीश कुमार बीमार हैं और भारतीय जनता पार्टी नीतीश के साथ वैसा ही करेगी जैसा उसने महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे के साथ किया।
कांग्रेस भाजपा के इस जाल में न फंसे तो बेहतर ही होगा बल्कि कांग्रेस बिहार के चुनाव में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन और पप्पू यादव की तिकड़ी को पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनाव प्रचार में उतारे तो इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के लिए बेहतर होगा।