
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 9 जुलाई को बिहार में चुनाव आयोग के विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ चक्का जाम में हिस्सा लेंगे। इस चक्का जाम में राहुल गांधी की पूर्व में की गई भारत जोडो यात्रा और भारत जोडो न्याय यात्रा का असर भी देखने को मिलेगा।
राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 में देश और देश की जनता को समझने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल यात्रा की थी। अपनी इस यात्रा में राहुल गांधी देश की आम जनता से जुड़े मिले और जनता की समस्याओं को जनता से सीधे संवाद से समझा। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी मणिपुर गए और मणिपुर की पीड़ित जनता से सीधे संवाद किया और उनकी समस्याओं को जाना और समझा। इसके बाद 22 नवंबर 2024 को राहुल गांधी ने फिर से एक बार मणिपुर से दिल्ली तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने देश की जनता से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं को समझा और जाना तो भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी ने जनता को न्याय मिले यह संदेश दिया। अब यदि राहुल गांधी 9 जुलाई को बिहार पहुंचे और इंडिया गठबंधन के आह्वान पर चक्का जाम में भाग लिया तो, यह उनकी जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए आंदोलन यात्रा होगी। विपक्षी दल के नेता चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं कि बिहार के बाद सारे देश में एसआईआर लागू करेगा और बिहार की तरह देश भर में नए सिरे से वोटर लिस्ट बनेगी।

बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी और कांग्रेस ने संसद से लेकर सड़क तक देश में जाति जनगणना का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने इसे अपना सबसे बड़ा मिशन बना रखा है जिसका प्रभाव बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिलता। क्या चुनाव आयोग के नए फरमान का असर राहुल गांधी के मिशन जाति जनगणना पर पड़ेगा। क्योंकि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेता सवाल खड़े कर रहे हैं कि चुनाव आयोग के नए फरमान से दलित पिछड़ा वर्ग के लोगों के नाम मतदाता सूची से कट जाएंगे। फिलहाल तो सबकी नजर 9 जुलाई पर है जहां इंडिया गठबंधन के आव्हान पर बिहार में चक्का जाम होगा और उसमें राहुल गांधी भाग लेंगे या नहीं। वैसे सोमवार 7 जुलाई को तेजस्वी यादव ने इंडिया घटक दल के नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि 9 जुलाई को चक्का जाम में राहुल गांधी भी हिस्सा लेंगे। 9 जुलाई को चक्का जाम को लेकर पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव बड़ी तैयारी कर रहे हैं। चुनाव आयोग के फरमान के बाद से ही पप्पू यादव चुनाव आयोग के फरमान के विरोध में सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















