
-देवेंद्र यादव-

बिहार विधानसभा के चुनाव की घोषणा होने में कुछ समय बाकी है, लेकिन राजनीतिक दलों, राजनीतिक गलियारों और मीडिया में लंबे समय से यह चर्चा चल रही है कि राज्य में किस गठबंधन की सरकार बनेगी। एनडीए गठबंधन बिहार की अपनी सरकार को बचा लेगा या फिर महागठबंधन बिहार की सत्ता में वापसी करेगा। कौन सत्ता में आएगा यह तो वक्त बताएगा, लेकिन जिस प्रकार की सुर्खियां चल रही है उन्हें देखकर लगता है कि बिहार विधानसभा का चुनाव देश की दो प्रमुख पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए खास बनता जा रहा है।
चर्चा है कि बिहार विधानसभा का चुनाव केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार का भविष्य तय करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत के 75 साल की उम्र होने पर यदि कोई शाल पहना दे तो समझ लो उसका रिटायरमेंट आ गया संबंधी बयान चर्चा में है। कयास लगने लगे कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिटायर होंगे। मोहन भागवत के बयान से ज्यादा चर्चा बिहार विधानसभा के चुनाव को लेकर है। यदि बिहार में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिटायर होने का दबाव बढ़ जाएगा। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बिहार के चुनाव की गंभीरता को देखकर मैदान में पूरी दमखम के साथ नजर आ रहे हैं। दमखम तो कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी बिहार में दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच बिहार दौरे करने की प्रति स्पर्धा जैसी नजर आ रही है। दोनों नेताओं की सक्रियता बता रही है कि भाजपा और कांग्रेस के लिए बिहार विधानसभा का चुनाव जीतना कितना महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस को बिहार में कामयाबी मिलना आसान नहीं है क्योंकि उसके पास बिहार में बुझे हुए कारतूस हैं। ये कारतूस भी महागठबंधन के प्रमुख दल राजद के हाथ में है। राहुल गांधी ने चुनाव की घोषणा होने से पहले अभी तक बिहार के सात बार दौरे किए। राहुल गांधी समझ चुके होंगे कि बिहार में राजद के हाथ में बुझे हुए कारतूसों के होने से कांग्रेस कामयाब नहीं होगी। राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी से लड़कर जीतने के लिए, मजबूत नेता उतारने होंगे जो भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति का मुकाबला कर सकें। इस समय बिहार में पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ताकतवर नेता के रूप में नजर आ रहे हैं जो लंबे समय से बिहार में कांग्रेस को मजबूती के साथ खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। 19 जुलाई शनिवार को युवक कांग्रेस ने बिहार में रोजगार मेला लगाया था। पप्पू यादव की उपस्थिति में बिहार में हजारों की संख्या में बेरोजगार युवकों ने रोजगार के लिए फॉर्म भरा। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोजगार युवकों की बड़ी भूमिका होगी। बिहार के युवाओं पर पप्पू यादव का जबरदस्त प्रभाव है। शायद इसीलिए राहुल गांधी भी बिहार में पप्पू यादव पर अधिक भरोसा करते हुए नजर आ रहे हैं। 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव हर हाल में भाजपा जीतना चाहती है। ऐसे में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस के पास मौजूदा वक्त में पप्पू यादव से बड़ा भरोसे वाला नेता नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि बिहार के अधिकांश कांग्रेस के नेता राजद नेता लालू प्रसाद यादव की शरण में हैं। जो नेता लालू प्रसाद यादव की शरण में हो उनसे कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि बिहार में कांग्रेस भाजपा से मुकाबला कर लेगी। भाजपा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को बिहार में पप्पू यादव जैसे मजबूत नेता पर भरोसा करना होगा। राहुल गांधी लगातार भारतीय जनता पार्टी पर मतदाता सूची में घोटाला कर चुनाव जीतने का आरोप लगा रहे हैं। बिहार में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति का मुकाबला पप्पू यादव और उनकी टीम ही कर सकती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं। मोबाइल नंबर,9829678916)

















