मध्य पूर्व में बढा युद्ध का खतरा, इजराइल की मदद को आया अमेरिका

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courtesy Israel Defense Forces X handle

-अमेरिका की सैन्य तैनाती बढी

गत दिनों हमास के दो वरिष्ठ नेता और हिजबुल्लाह के एक कमांडर की हुई हत्या के बाद मध्य पूर्व में युद्ध भडकने का खतरा बढ गया है। माना जा रहा है कि इन हत्याओं को इजराइली सेना ने अंजाम दिया और दुनिया को इसी बात पर यकीन भी है। इसमें भी हमास चीफ इस्माइल हानिया की तेहरान में हुई हत्या के बाद ईरान भडका हुआ है और उसने इजराइल पर हमला करने व इस हत्या का बदला लेने की साफ धमकी दी है। ईरान की इस धमकी को न इजराइल ने हल्के में लिया है और न अमेरिका ने। इसी का नतीजा है कि अमेरिका ने ईरान के हमले की आशंका को देखते हुए मध्य पूर्व में युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों का बेड़ा तैनात कर दिया है। इजराइल ने 72 घंटे में हमला करने की धमकी दी है और यह घडी नजदीक आती जा रही है। इस धमकी के बाद अमेरिका ने तत्काल सैन्य कदम उठाते हुए इजराइल की सुरक्षा के लिए अपनी सैन्य उपस्थिति बढा दी। मीडिया में आई रिपोेर्टों के अनुसार अमेरिका ने इजराइल के निकट अपने विध्वंसक पोत, 80 लडाकू विमान तैनात किए हैं। इसके साथ ही खाडी में अपने सहयोगी देशों में मौजूद सैनिकों की संख्या भी बढा दी है। इसमें तो कोई संदेह नहीं है कि ईरान हमले पर आमादा है लेकिन यह बात भी है कि खाडी के सभी देश ईरान के साथ नहीं है। वह खाडी देशों का निर्विवाद नेता नहीं है। लेकिन ईरान के साथ रूस व चीन का समर्थन है। इसलिए किसी तरह से तनाव बढता है तो इसका असर दूरगामी होगा और युद्ध के अन्य देशों तक पहुंचने का खतरा है। इजराइल पहले से ही गाजा पट्टी में युद्धरत है और इसको चलते करीब 10 माह हो चुके हैंे। लेबनान में सक्रिय हिजबुल्लाह भी इजराइल के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार है। इजराइल ने उसके कमांडर को भी शिकार बनाया है। फिर हिजबुल्लाह फिलस्तीनियों का समर्थक है और उनकी सहायता करता है। ऐसे में अगर ईरान हमला करता है तो कम से कम हमास, हिजबुल्लाह और हूती विद्रोहियों के ईरान का साथ देने की पूरी संभावना है। साफ है कि ईरान के हमले की स्थिति में इजराइल की मुश्किलें बढेंगी लेकिन यह भी साफ है कि हमास व हिजबुल्लाह के कमांडरों की हत्या से पहले इजराइल ने भी नफा नुकसान का आकलन किया होगा। अब देखना है कि उसका सबसे बडा हिमायती अमेरिका उसको बचाने कहां तक आगे बढता है।
अमेरिका भी मानता है कि तेहरान में हुई हानिया की हत्या के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खुमैनी ने अपनी सेना को इजरायल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया है। ईरान यह मानता है कि हानिया की हत्या का का बदला लेना उसका फर्ज है। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने तो इजरायल के साथ ही अमेरिका को भी धमकी दी है कि यदि हमले में हस्तक्षेप किया तो वह अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाएगा। हिजबुल्लाह के कमांडर भी कह चुके हैं कि वे इजराइल पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इस क्षेत्र में और अधिक लड़ाकू जेट और मिसाइल दागने वाले युद्धपोतों को भेजने का आदेश दिया है। याद रखने वाली बात यह है कि ईरान ने इस साल अप्रैल में इजरायल के खिलाफ कई सौ मिसाइलेें दागी थीं लेकिन वे इजराइली सुरक्षा कवच को भेद नहीं पाई थी। लेकिन इस बार हमला पूर्ण युद्ध की ओर ले जाने वाला हो सकता है। इसलिए किसी भी जवाबी कदम के लिए अमेरिका की भूमिका अहम होगी।
ईरान के किसी हमले से इजराइल को बचाने के लिए अमेरिका अपने स्थानीय सहयोगियों की मदद लेना चाहेगा। इसमें मिस्र और जॉर्डन की भूमिका अहम है। ईरान यदि कोई मिसाइल या ड्रोन इजराइल की ओर दागता है तो उसको तो उसे अन्य देशों के हवाई क्षेत्र को पार करना पडता है। इसमें जॉर्डन भी शामिल है। जॉर्डन ने अप्रेल में इजराइल पर ईरानी हमले के समय इजराइल का साथ दिया था। अब देखना यह है कि जॉर्डन इस बार क्या रुख अपनाता है। यह इजराइल के साथ अमेरिका के लिए भी परीक्षा की घडी है। यदि युद्ध भडका और फैला तो दुनिया की सप्लाई चेन बाधित होगी। खासकर तेल की आपूर्ति पर असर पडेगा और खाडी में मौजूद बाहरी लोगों को पलायन शुरू हो सकता है। इसलिए दुनिया को मुश्किल दिनों का सामना करने के लएि तैयार रहना चाहिए।

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