
राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के घटक दलों को एकजुट रखने में कामयाब हुए। यह कांग्रेस, इंडिया घटक दल और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण कामयाबी है। इस कामयाबी की मास्टरमाइंड राज्यसभा सांसद श्रीमती सोनिया गांधी हैं जिनका सम्मान घटक दलों के तमाम नेता करते हैं।
-देवेंद्र यादव-

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए संसद का मानसून सत्र राजनीतिक भाग्य उदय का सत्र रहा। लंबे समय से राजनीतिक गलियारों, मुख्य धारा की मीडिया और जनता के बीच से लगातार यह आवाज सुनाई दे रही थी कि देश में भाजपा के सामने मजबूत विपक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं है। लेकिन संसद के मानसून सत्र में इंडिया गठबंधन के रूप में मजबूत विपक्ष और राहुल गांधी के रूप में प्रधानमंत्री मोदी का मजबूत विकल्प जनता ने देखा है।
अब निर्णय जनता के हाथ में है, जिसकी पहली झलक बिहार विधानसभा के चुनाव में देखी जा सकती है, जहां भारतीय जनता पार्टी पहली बार अपने दम पर सरकार और पार्टी का मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। वही इंडिया गठबंधन बिहार की सत्ता में वापसी करना चाहता है। पहलगाम हमले के तुरंत बाद विदेश यात्रा से लौटकर प्रधानमंत्री सीधे बिहार गए थे। मोदी पर यह आरोप संसद से लेकर सड़क पर इंडिया घटक दलों के नेताओं ने लगाए।
पहलगाम हमले के बाद विपक्ष सत्ता पक्ष भाजपा से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था लेकिन विशेष सत्र नहीं बुलाया। जब मानसून सत्र शुरू हुआ तो विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस कराने की पुरजोर मांग की, और अपनी इस मांग पर विपक्ष सफल भी हुआ। संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हुई, और लोकसभा के भीतर देश ने, इंडिया गठबंधन का युवा जोश देखा। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, गौरव गोगोई, अखिलेश यादव ने संसद में सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सवालों की बौछार लगा दी। संसद में राहुल गांधी का भाषण प्रभावशाली रहा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भाषण पर देश की नजर थी। नजर इसलिए भी थी क्योंकि राहुल गांधी का आरोप था कि सत्ता पक्ष भाजपा उन्हें संसद के भीतर बोलने नहीं देती है। राहुल गांधी ने कहा था कि यदि मैं बोलूंगा तो सुनामी आ जाएगी। क्या राहुल गांधी का वाक्य सच साबित हुआ। राहुल गांधी का भाषण देश की जनता ने पसंद किया इससे लगता है राहुल गांधी का वाक्य सच साबित हुआ।
राजनीतिक पंडित संसद सत्र से पहले यह भी आरोप लगाते थे कि राहुल गांधी विपक्ष को एकजुट कर पाने में विफल रहते हैं। लेकिन संसद सत्र के शुरू होने से पहले राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन के घटक दलों को एकजुट किया। घटक दल एकजुट हुए जिसकी झलक संसद में ऑपरेशन सिंदूर के मसले पर हुई बहस के दरमियान देखी गई। कहा जा सकता है कि संसद का मानसून सत्र राहुल गांधी के राजनीतिक भाग्य के उदय के लिए महत्वपूर्ण सत्र है। मानसून सत्र में राहुल गांधी का भाषण प्रभावशाली रहा। उससे बड़ी बात राहुल गांधी की राजनीतिक सोच और रणनीति मानसून सत्र में सफल रही। राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के घटक दलों को एकजुट रखने में कामयाब हुए। यह कांग्रेस, इंडिया घटक दल और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण कामयाबी है। इस कामयाबी की मास्टरमाइंड राज्यसभा सांसद श्रीमती सोनिया गांधी हैं जिनका सम्मान घटक दलों के तमाम नेता करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर इंडिया गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी को जिस प्रकार से घेरा है, उसे देखकर सत्ता पक्ष के नेता अब राहुल गांधी और कांग्रेस को हल्के में लेना और खिल्ली उड़ाना बंद कर देंगे। जनता के बीच राहुल गांधी का प्रभाव नजर आने लगा है जिसकी झलक संसद सत्र में दिए गए राहुल गांधी के मजबूत भाषण में दिखाई दी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं। मोबाइल नंबर 9829678916)