
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी का यह डायलॉग “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता”, ही शायद कांग्रेस के स्लीपर सेल और उनके के इर्द-गिर्द बैठे नासमझ और नकारा रणनीतिकारों का हौसला बढा रहा है। यही लोग राहुल गांधी को रास्ते से भटकाते रहते हैं।
राहुल गांधी भूल रहे हैं कि कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं को “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता” का फर्क पड़ता है। जहां कांग्रेस कमजोर हो रही है वहीं उसका कार्यकर्ता कुंठित है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मन की बात राहुल गांधी तक पहुंच नहीं पहुंच रही है। राहुल गांधी के इर्द-गिर्द मौजूद रणनीतिकार और सलाहकार, कार्यकर्ताओं की मन की बात को डस्टबिन में डाल देते हैं, क्योंकि वह जानते हैं राहुल गांधी को फर्क नहीं पड़ता।
बिहार में 9 जुलाई की घटना ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कितना असर डाला है, इसका फर्क विधानसभा चुनाव की घोषणा और परिणाम के बाद नजर आएगा। राहुल गांधी के मंच से पार्टी के बड़े नेताओं को ही मंच से उतार दिया जाता है तो आम कार्यकर्ताओं की तो हैसियत ही क्या रह जाती है। मैंने अपने पिछले ब्लॉग में लिखा था कि राहुल गांधी को आम कार्यकर्ताओं से मिलना शुरू करना चाहिए।

बिहार में राहुल गांधी लगभग आधा दर्जन बार गए, मगर उनके राजनीतिक रणनीतिकारों और सलाहकारों ने शायद ही कार्यकर्ताओं से मिलने दिया हो। उन्होंने राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने और मिलने की एक बार भी सलाह नहीं दी। यदि बिहार दौरे के समय राहुल गांधी आम कार्यकर्ताओं से मिलते और संवाद करते तो शायद 9 जुलाई को पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के साथ अपमानजनक घटना नहीं होती। बात पप्पू यादव और कन्हैया कुमार तक ही सीमित नहीं है। इससे भी बड़ी बात उस तीसरे शख्स की भी है जो बिहार कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। राष्ट्रीय महामंत्री कृष्णा अल्लावरु भी मंच पर नजर नहीं आए जबकि यह सभी नेता राहुल गांधी के साथ मार्च में शामिल थे और राहुल गांधी के काफिले के साथ चल रहे थे।
राहुल गांधी जब मंच पर थे और पप्पू यादव, कन्हैया कुमार, कृष्णा अल्लावारु मंच के नीचे थे। जबकि मंच पर राजद नेता तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी सहित कांग्रेस के नेता प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता शकील अहमद, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह खड़े थे। तब टीम राहुल गांधी के तीन योद्धा पप्पू यादव, कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावारु मंच के नीचे थे। मंच पर कांग्रेस की ओर से अकेले राहुल गांधी थे बाकी सभी नेता टीम तेजस्वी यादव के थे। जो नेता बिहार में कांग्रेस को मजबूत करके भाजपा से लड़ना चाहते हैं और जीतना चाहते हैं वह नेता मंच के नीचे खड़े थे। फर्क पड़ता है उन्हें जो दिन-रात कांग्रेस के लिए अपमान सहकर भी मेहनत करते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)