लोकसभा कि 11 सीट हारने के बावजूद राजस्थान पर इतने मेहरबान क्यों है, पीएम मोदी ?

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फोटो साभार सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेंद्र यादव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 में राजस्थान की 25 में से 11 सीट गंवाने के बावजूद राजस्थान से पांच सांसदों को अपने मंत्रिमंडल में न केवल शामिल किया बल्कि उन्हें महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी भी दी। सवाल उठ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान की 11 सीट गंवाने के बाद भी राजस्थान पर इतने मेहरबान क्यों है? यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पारखी नजर है, या फिर जिन नेताओं को मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है उन नेताओं की मोदी के प्रति वफादारी और निष्ठा है।
मोदी मंत्रिमंडल में शामिल भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव दो ऐसे नेता हैं जो ठीक से राजस्थान के गांव की पगडंडियों को भी नहीं जानते होंगे, और ना ही राजस्थान की पगडंडियों पर इन नेताओं को चलते हुए राजस्थान की जनता ने कभी ठीक से देखा होगा।
भूपेंद्र यादव पहली बार राजस्थान के अलवर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि अश्वनी वैष्णव उड़ीसा से राज्यसभा के सांसद हैं। मिट्टी को सोना बनाने वाली कहावत है, और यह कहावत ओम बिरला, अर्जुन राम मेघवाल और अश्वनी वैष्णव पर सटीक बैठती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के इन तीन नेताओं को मिट्टी से उठाकर सोना बनाया है।
ओम बिरला की चमक देश ने तब देखी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार जीतने पर बिरला को लोकसभा का स्पीकर बना दिया। बिरला की चमक में इजाफा अधिक तब हुआ जब वे लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर चुने गए। आज बिरला राजस्थान के सबसे बड़े नेता के रूप में देखें और जाने जाने लगे हैं।
कमोबेश यही बात अर्जुन मेघवाल के संदर्भ में कही जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जुन राम मेघवाल को देश का कानून मंत्री बनाया। ऐसे ही अश्वनी वैष्णव को लगातार दूसरी बार देश का रेल मंत्री बनाया।
गजेंद्र सिंह शेखावत को छोड़कर, बाकी चार मंत्री ऐसे हैं जो राजस्थान से अपने संसदीय क्षेत्र को तो जीत सकते हैं मगर अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाली सारी विधानसभाएं भारतीय जनता पार्टी को नहीं जितवा सकते।
यानी इन नेताओं का राजनीतिक प्रभाव केवल अपने संसदीय क्षेत्र तक सीमित है, पूरे राजस्थान की बात करें तो केवल गजेंद्र सिंह शेखावत और अब ओम बिरला का प्रभाव देखने को मिलेगा।
गुजरात सीमा से लगे राजस्थान पर आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेहरबान क्यों है इसकी वजह राजस्थान के भाजपा नेताओं और सांसदों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति निष्ठा और वफादारी है।
2014 और 2019 में राजस्थान भाजपा के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजस्थान की सभी 25 सीट जिताकर दी थी। हाडोती संभाग आरएसएस का गढ़ माना जाता है और जनसंघ के जमाने से हाडोती संभाग का नेता भारत की संसद में प्रतिनिधित्व करता आया है, इसलिए राजस्थान नरेंद्र मोदी के नजरिया से खास महत्व रखता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के नेताओं को महत्व और सम्मान देते हैं। इस समय देश की नजर राजस्थान के दो नेता ओम बिड़ला और अर्जुन राम मेघवाल पर अधिक है। ओम बिरला पर इसलिए क्योंकि 18वीं लोकसभा में विपक्ष पहले से अधिक मजबूत है, और भारतीय जनता पार्टी को जनता ने इस बार पूर्ण बहुमत नहीं दिया है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार घटक दलों के सहयोग से है। अर्जुन राम मेघवाल पर इसलिए नजर है क्योंकि वह देश के कानून मंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी सरकार देश में नए कानून बनाने और लागू करने की रणनीति बना रही है। अर्जुन राम मेघवाल दलित हैं भारतीय जनता पार्टी विपक्ष के नेताओं को यह बताना चाहती है कि देश के पहले कानून मंत्री बाबा साहब अंबेडकर थे जो एक दलित थे। भारतीय जनता पार्टी ने भी देश का कानून मंत्री दलित नेता को बनाया है और दलित नेता के हाथों से वह नए कानून बनाने और लागू करने की रणनीति बना रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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