विपक्षी गठबंधन की बैठक कल से मुंबई मेंः होगी ताकत बढ़ाने की जुगत

faruq

-द ओपिनियन-

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ (INDIA) की मुंबई में गुरुवार व शुक्रवार को प्रस्तावित बैठक के लिए सियासी गहमागहमी शुरू हो गई है। गठबंधन में शामिल दलों के नेता मुंबई पहुंचने शुरू हो गए हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव व उनके पुत्र व बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मंगलवार शाम को ही मुंबई पहुंच गए थे। दूसरी ओर राकांपा प्रमुख शरद पवार और उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना व एसीपी नेता व्यवस्थाओं की तैयारी में जुटे हैं। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रसोई गैस के दामों में 200 रुपए की कटौती व जातीय जनगणना को लेकर अपने रुख में बदलाव कर नई रणनीतिक पहले तय ही कर चुके है। हालांकि गठबंधन के नेता रसोई गैस के दामों में कटौती को इंडिया गठबंधन की ताकत के रूप देख रहे हैं। उनका कहना है कि गठबंधन की दो ही बैठक हुई और सरकार ने दामों में कटौती की घोषणा कर दी। विपक्ष को नहीं भूलना चाहिए कि पीएम मोदी ऐसे ही एकाएक फैसले कर विपक्ष के हमलों की धार कुंद कर देते हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर पीएम मोदी ने ऐसी ही रणनीतिक पहल की थी और पार्टी को उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन से सर्वाधिक प्रभावित जाट बेल्ट में संभावित नुकसान से काफी हद तक बचा लिया था।

दूसरी ओर विपक्षी दलों की गुरुवार से शुरू हो रही दो दिवसीय बैठक बहुत अहम है। इसमें सीटों के बंटवारे और गठबंधन के संयोजक व समन्वय समिति के गठन पर अहम फैसले होने हैं। इस बैठक में ही संभवतः यह साफ हो कि चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में विपक्ष एकजुट होकर उतरेगा या अलग अलग होकर मैदान में आएंगे। आम आदमी पार्टी ने गत दिनों छत्तीसगढ व मध्य प्रदेश में पार्टी की जनसभाएं कर साफ कर दिया कि वह इन दोनों राज्यों में चुनाव लड़ेगी । अब यदि आम आदमी पार्टी वहां चुनाव मैदान में उतरती है तो कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी। इसलिए यह देखना है कि मुंबई की इस प्रस्तावित बैठक में वह इस तरह के सवालों के क्या हल निकालेगी। बसपा राजस्थान में सभी सीटोें पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। विपक्ष की बैठक में इन सभी सवालों पर मंथन होने की उम्मीद है। जनता दल यू के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंबई बैठक में तीन चार और दलों के शामिल होने की उम्मीद जताई है। देखना है कि विपक्षी गठबंधन अपनी संख्या को किस तरह से बढाती है।

जद यू नेता नीतीश पिछले दो दिनों से कह रहे हैं कि उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। वह तो सिर्फ विपक्षी दलों को एक साथ लाना चाहते हैं। किसी और पार्टी के नेता को विपक्षी गठबंधन का संयोजक बना दिया जाए। हालांकि इस दौड़ में नीतीश को ही सबसे आगे माना जा रहा है। बैठक में विपक्षी नेता 2024 के लोकसभा चुनाव में राजग का मुकाबला करने के लिए चुनाव प्रचार की साझा रणनीति पर भी मंथन कर सकते हैं। उनके गठबंधन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने, देशभर में आंदोलन करने के लिए संयुक्त योजनाएं बनाने और सीटों के बंटवारे के लिए कुछ समितियों की घोषणा भी की जा सकती है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से यह संकेत लगातार दिए जा रहे हैं कि पार्टी के लिए पीएम का चेहरा राहुल गांधी ही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल इस आशय की बात कई बार कह चुके हैं।

गठबंधन की पहली बैठक जून में पटना में, जबकि दूसरी बैठक जुलाई में बेंगलुरु में हुई थी, जहां इसे इंडिया नाम दिया गया। बैठक के मद्देनजर कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि गठबंधन के साझेदारों के बीच 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को ज्यादातर राज्यों में अंतिम रूप दे दिया गया है। बैठक के आयोजन में अहम भूमिका निभा रहे देवड़ा ने ‘इंडिया’ के साझेदारों के बीच विकसित हो रहे तालमेल की सराहना की और कहा कि इसका सबसे अच्छा उदाहरण महाराष्ट्र में है। शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन महाविकास आघाडी ने ‘इंडिया’ की बैठक के विभिन्न पहलुओं की योजना के लिए विभिन्न समितियां गठित की हैं। ‘इंडिया’ की यह पहली बैठक है, जो ऐसे राज्य में आयोजित हो रही है, जहां इस गठबंधन का कोई भी घटक सत्ता में नहीं है।

राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के एनडीए में शामिल होने की चर्चाओं को अटकल बताकर खारिज करते हुए पार्टी अध्यक्ष जयंत चैधरी ने कहा है कि कई राजनीतिक दल भाजपा के साथ हाथ मिलाने में सहज नहीं महसूस कर रहे क्योंकि वह असंतोष की आवाज को कुचलने में बहुत माहिर है। कर्नाटक की राजधानी में पिछले महीने हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि विपक्ष 2024 का चुनाव एकजुट होकर लड़ेगा और कामयाब होगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी लड़ाई भाजपा की विचारधारा के खिलाफ है।

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