वोट का अधिकार यात्रा में राहुल गांधी के आत्मविश्वास के मायने!

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-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

राहुल गांधी का वोट का अधिकार यात्रा में, उनकी भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा से, कुछ अलग हटकर अंदाज नजर आ रहा है। जहां तक जन सैलाब और जन समर्थन की बात करें तो, बिल्कुल भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तरह दिखता और मिलता हुआ नजर आ रहा है। बिहार में वोट के अधिकार यात्रा में राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस और सत्ता पक्ष भाजपा के खिलाफ आक्रामक तेवर, बयां कर रहे हैं कि वह 1 सितंबर को अपनी वोट का अधिकार यात्रा को बिहार में समाप्त कर इसे सारे देश में ले जाएंगे। राहुल गांधी वोट के अधिकार यात्रा के तहत ही भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के अपने इरादे और संकल्प को विराम देंगे ? राहुल गांधी वोट का अधिकार यात्रा यूं ही नहीं निकाल रहे हैं। बिहार में उनके राजनीतिक तेवर बता रहे हैं कि राहुल के हाथ में भाजपा के खिलाफ कोई बड़ी चाबी लग गई है। इस चाबी से राहुल गांधी भाजपा को सत्ता से बाहर कर देंगे। वोट के अधिकार यात्रा, विपक्षी दलों खासकर क्षेत्रीय दलों के नेताओं को भी संदेश दे रही है कि यदि भविष्य में अपनी राजनीति और अपनी पार्टियों को जिंदा रखना है तो उन्हें राहुल गांधी की छतरी के नीचे आना होगा। बिहार में वोट के अधिकार यात्रा से यह तो स्पष्ट हो गया कि जनता भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में राहुल गांधी को देख रही है। सवाल यह है कि राहुल गांधी को कॉन्फिडेंस क्या है और वह भाजपा के खिलाफ इतने आक्रामक क्यों नजर आ रहे हैं। इसका जवाब राहुल गांधी को अपनी वोट के अधिकार यात्रा में बिहार के भीतर मिल रहा जनता का जन समर्थन है या फिर, मानसून सत्र के अंतिम दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगे लोकसभा के भीतर और राज्यसभा मैं गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ लगाए गए विपक्षी सांसदों के द्वारा नारे हैं। विपक्षी दलों के सांसदों के द्वारा संसद के भीतर मोदी और शाह के खिलाफ लगाए गए नारों की चर्चा राजनीतिक गलियारों में इसलिए सुनाई दी क्योंकि सत्ता पक्ष भाजपा के सांसदों ने संसद के भीतर नारों के खिलाफ कोई रिएक्ट नहीं किया। जबकि जब संसद के भीतर मोदी प्रवेश करते थे तब सत्ता पक्ष के सांसद मोदी मोदी के नारों से संसद को गुंजा देते थे। सत्ता पक्ष के सांसदों ने विपक्षी सांसदों के नारों का विरोध क्यों नहीं किया यह बड़ा सवाल है? राहुल गांधी महसूस कर रहे हैं कि जनता और तमाम विपक्षी दल राहुल गांधी के अभियान भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करो के साथ खड़े हैं। जनता और विपक्षी दलों की एकता राहुल गांधी के हौसले बुलंद करते हुए नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी के कॉन्फिडेंस और आक्रामक तेवर देख कर लग रहा है कि वह समझ गए हैं कि भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन की जीत नजदीक है। वह भाजपा को संभलने का भी अब मौका नहीं देना चाहते हैं। राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही कोई बड़ा खेला कर सकते हैं। इसका पता उपराष्ट्रपति के चुनाव परिणाम आने के बाद स्पष्ट रूप से लग जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के गया में 22 अगस्त शुक्रवार के दिन बता दिया कि वह इंडिया गठबंधन के इरादों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे। बिहार में एक तरफ राहुल गांधी वोट के अधिकार यात्रा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ गया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा नदी पर बने पुल का उद्घाटन कर रहे थे। दोनों नेताओं के निशाने पर एक दूसरा था। मोदी कांग्रेस और राजद की नीतियों के खिलाफ बोल रहे थे तो वही राहुल गांधी मोदी और केंद्र में उनकी सरकार के खिलाफ बोल रहे थे। बिहार में राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी विधानसभा चुनाव को मद्दे नजर सक्रिय हैं। बिहार में अभी विधानसभा चुनाव की घोषणा होना बाकी है मगर राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताबड़तोड़ दोरे बता रहे हैं कि ये चुनाव दोनों के लिए कितना अहम है !
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान,मोबाइल नंबर 9829678916

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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