
-देवेंद्र यादव-

एक तरफ कांग्रेस हाई कमान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में पार्टी का संगठन सृजन अभियान चलाकर, निष्ठावान ईमानदार और वफादार कार्यकर्ताओं की खोज कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सूत्रों के अनुसार राजस्थान कांग्रेस के नेता और राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा दगाबाज और पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को कांग्रेस में लाने की तैयारी कर रहे हैं। अब फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को करना है कि, वह देश में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं या फिर कांग्रेस के बब्बर शेरों का मनोबल कमजोर कर, बुरे वक्त में दगा देने वाले नेताओं की पार्टी में वापसी करना चाहते हैं। राहुल गांधी और खड़गे ने कांग्रेस के नए कार्यालय इंदिरा गांधी भवन मैं कहा था कि बड़े नेताओं को कार्यकर्ताओं के पास जाना होगा, तब कांग्रेस मजबूत होगी। मगर पार्टी के सूत्रों के अनुसार राजस्थान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, राजस्थान नहीं जाकर राजस्थान के चुनिंदा नेताओं को दिल्ली बुलाकर दगाबाज नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने की मुहिम चलाने वाले हैं। यह वही राजस्थान के राष्ट्रीय प्रभारी हैं जिन्होंने पिछले दिनों राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा होने के बाद दर्जनों प्रदेश पदाधिकारी कांग्रेस के संविधान का उल्लंघन कर अपने लेटर पैड पर बना दिए थे। अब खबर यह सुनाई दे रही है कि जो नेता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण कांग्रेस छोड़कर गए थे रंधावा उनकी घर वापसी के प्रयास में है। शायद इसीलिए 20 जून को रंधावा ने राजस्थान के चुनिंदा नेताओं को मंथन करने के लिए दिल्ली बुलाया है। राजस्थान में अभी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की तरह संगठन सृजन का अभियान अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन शायद राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने, दगाबाज नेताओं कि घर वापसी का अभियान छेड़ दिया है। जिसकी प्रदेश के राजनीतिक गलियांरो और मीडिया के भीतर चोर शोर से चर्चा है। मैंने अपने पिछले ब्लॉग में बताया था कि कांग्रेस के भीतर शादी वाले, रेस वाले और लंगड़े घोड़े के अलावा चौथा घोड़ा भी है जो बेलगाम घोड़ा है। यह बेलगाम घोड़ा इतना ताकतवर है कि उसकी डोर राहुल गांधी स्वयं नहीं संभाल पा रहे हैं।
राहुल गांधी अक्सर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच कहते हैं कि पार्टी में निष्ठावान ईमानदार और वफादार कार्यकर्ता रहेंगे और जो भारतीय जनता पार्टी का काम करते हैं उन्हें कांग्रेस से बाहर किया जाएगा। अब सवाल यह है कि चुनाव के वक्त राजस्थान में जिन नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी का नुकसान किया और भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाया क्या उन नेताओं की कांग्रेस में वापसी होनी चाहिए। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को चिंता है कि आने वाले समय में कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर दगाबाज नेता ही बैठेंगे और 2029 के विधानसभा चुनाव में टिकट की ताल ठोकेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)