
-शैलेश पाण्डेय
रविवार 5 जनवरी का दिन यादगार रहेगा। इस अवसर पर ऐसी हस्ती से मिलने का मौका मिला जिनसे विनम्रता के साथ अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ता और जनहित के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किस तरह लोगों को जोड़ा जा सकता है यह सबक सीखने को मिला। यह हस्ती हैं जल पुरूष राजेन्द्र सिंह। प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह देश दुनिया में पर्यावरण संवर्धन के क्षेत्र में प्रमुख नाम हैं और जल, जमीन तथा जंगल को बचाने के लिए इतने आंदोलन कर चुके हैं कि लोगों को तो क्या उन्हें भी संख्या याद नहीं होगी। इनमें दर्जनों आंदोलनों को उनके सकारात्मक अंजाम तक पहुंचा चुके हैं। इसके बावजूद उनकी नम्रता देखने और अनुसरण करने लायक है।
पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत ब्रजेश विजयवर्गीय जी के शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के सम्बंध में बारां में आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला में भाग लेने के लिए मिले आमंत्रण पर राजेन्द्र सिंह जी से मिलने का मौका मिला। मैं राजस्थान पत्रिका में अपने वरिष्ठ सहयोगी और हाडोती में पत्रकारिता के पुरोधा धीरेन्द्र राहुल तथा एक्टिविस्ट रवि जैन और जन आंदोलनों में अग्रणी दुली चंद बोरदा के साथ इस कार्यशाला के लिए गया था।
राजेन्द्र सिंह कार्यशाला में शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलनकारियों को एक एक कदम उठाने के लिए जिस तरह समझा रहे थे उससे ऐसा आभास होता था कि कोई अध्यापक नर्सरी कक्षा के विद्यार्थी को प्यार से कोई कविता या कहानी के मायने बता रहा है। उनका सबसे ज्यादा जोर इस बात पर था कि कोई भी आंदोलन तभी सफल होता है जब समाज का हर तबका उससे जुड़े। इसमें स्कूल के बच्चे तक शामिल हैं। व्याख्यान के बाद हुए सवाल जवाब के कार्यक्रम में भी श्रोताओं की बात को बहुत ध्यान से पूरा सुनना और उनका समाधान बताना उनके व्यक्तित्व की एक और खासियत रही।
हालांकि राजेन्द्र सिंह जी को प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलने के बाद से ही जानता था लेकिन उनसे प्रत्यक्ष यह पहली मुलाकात थी। वह जिस गर्मजोशी से मिलते हैं उनके प्रति श्रद्धा बढ़ती जाती है। राजेंद्र सिंह इतने लोकप्रिय क्यों हैं यह उनका बहुत प्यारी भाषा से बात करने से ही पता चल जाएगा। यदि आपको उनके बारे में जानकारी नहीं है तो समझ ही नहीं सकेंगे कि आप किस हस्ती से मिल और बातचीत कर रहे हैं। वह आपको अहसास ही नहीं होने देते कि आप पहली बार उनसे मिल रहे हैं. लोग मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते हैं और जल, जमीन तथा प्रकृति के बारे में खुलकर बातचीत कर सकते हैं। कार्यशाला के बाद रात्रि को भोजन करने के समय भी वह अपने साथ आए सभी लोगों का बहुत ध्यान रख रहे थे। उनका जोर इस बात पर था कि दिन भर की गतिविधियों में थकान के बाद ऐसा नहीं हो कि कोई भोजन से वंचित रह जाए।
जल पुरुष राजेन्द्र सिंह के पर्यावरण संरक्षण, नदियों को स्वच्छ एवं पर्यावरण मुक्त बनाने के आंदोलन से संबंधित समाचार पढ़ने को मिलते रहे हैं लेकिन राजेन्द्र जी सरल,सहज एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी भी है, यह पहले बार जाननेको मिला है