
-देवेन्द्र यादव-

जब तक कांग्रेस के नेता हवा में तीर मारना नहीं छोड़ेगे और सही निशाना नहीं साधेंगे, तब तक कांग्रेस भाजपा को हरा कर सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। कांग्रेस के पास आज भी बड़े-बड़े राजनीतिक तीरंदाज मौजूद हैं मगर असल तीरंदाज कुंठित होकर अभी भी अपने घरों में बैठे हुए हैं। घरों में कुंठित होकर बैठे तीरंदाज राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा के समय बाहर निकले थे, और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके सटीक निशाने की वजह से कांग्रेस ने 99 लोकसभा की सीट जीती थी। मगर कांग्रेस हाई कमान उन तीरंदाजों की काबिलियत को शायद नहीं समझ पाया और ब्लॉक, जिला राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर संगठन के भीतर ऐसे तीरंदाजों की फौज खड़ी कर ली जिन्हें केवल हवा में तीर मारना आता है। परिणाम यह निकला की 2024 के बाद हुए चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई।
कांग्रेस हाई कमान ने ऐसे लोगों की राष्ट्रीय स्तर पर नियुक्तियां की जिनकी राजनीतिक हैसियत ब्लॉक में भी पद लेने की नहीं थी। ऐसे लोगों को कांग्रेस ने पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया। इस कारण कांग्रेस के असल तीरंदाज वापस से कुंठित होकर अपने घरों के भीतर धीरे-धीरे बैठने लगे। राहुल गांधी बार-बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बब्बर शेर बताते हैं मगर पार्टी के भीतर बब्बर शेरों की हैसियत क्या है यह बब्बर शेर ही जानते हैं। पार्टी के भीतर भाजपा से लड़ने के लिए रणनीति बनाने से लेकर सभी निर्णायक कार्य बब्बर शेरों के हाथों में नहीं देकर गीदड़ों के हाथों में दे रखे है। ये अपना राजनीतिक करियर सुरक्षित रखने और बचाने के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गुमराह करते हैं और ऐसा रास्ता बताते हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान होने के सिवा कुछ नहीं होता।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को ईवीएम मशीनों के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के साथ-साथ कांग्रेस के भीतर भी एक बड़ा सफाई अभियान चलाना होगा और कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर घरों में बैठे उन मजबूत तीरंदाजों को बड़ी जिम्मेदारी देनी होगी। कांग्रेस को राज्यों में क्षेत्रीय दलों से समझौता करने की जगह राज्यों के भीतर मजबूत नेता बनाने होंगे। देश के विभिन्न राज्यों में कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ उन कार्यकर्ताओं में विश्वास और आत्म बल पैदा करने की। यह तब होगा जब राज्यों के भीतर मजबूत नेतृत्व होगा।
बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस बिहार में चार दशक से भी अधिक समय से सत्ता से बाहर है। कांग्रेस इस अवधि में बिहार के भीतर एक मजबूत नेतृत्व तैयार नहीं कर सकी और क्षेत्रीय दलों के भरोसे चुनाव लड़कर अपने आप को खत्म करती रही। बिहार में भाजपा क्षेत्रीय दलों से समझौता कर चुनाव लड़ रही है और उसे फायदा भी मिल रहा है मगर कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से समझौता कर नुकसान उठा रही है। ऐसे में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़ा प्रयोग कर देखना चाहिए और बगैर समझौते के अपनी दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। कांग्रेस को समर्थन और ताकत देने के लिए बिहार के पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव पूरी तरह से तैयार हैं। कांग्रेस को यह समझना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार में जो पांच लोकसभा सीट मिली थी उसमें बड़ा योगदान पप्पू यादव का था। पप्पू यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था। हाल ही में संपन्न हुए झारखंड विधानसभा के चुनाव में भी पप्पू यादव का बड़ा योगदान था। ऐसे में बिहार चुनाव में कांग्रेस को खास कर राहुल गांधी को पप्पू यादव पर भरोसा कर बिहार चुनाव की कमान उनके हाथ में दे देनी चाहिए !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)