बिना किसी वैध खान के कहां से आ रही है मिट्टी? कौन देखें?

श्री भरत सिंह ने कोटा के जिला कलक्टर को भेजे एक पत्र में कहा है कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के सुल्तानपुर इलाके में एक्सप्रेस हाईवे के निर्माण क्षेत्र के हिस्से की पंचायत खेड़ली तंवरान का दौरा किया था। आठ लेन के एक्सप्रेस-वे के निर्माण में बड़ी मात्रा में मिट्टी का उपयोग किया जाता है। मिट्टी कहां से लाई जा रही है, इसकी जानकारी प्राप्त करने पर उन्हें यह बताया गया कि पंचायत में नोताड़ा,खेड़ली तंवरान, मंडावरा जैसे गांवों में चंबल नदी से वन भूमि में बड़े पैमाने पर अवैध खनन पर मिट्टी को निकाला जा रहा है और इसका उपयोग इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण किया जा रहा है।

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प्रतीकात्मक फोटो

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

राजस्थान के कोटा जिले में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने के लिए आठ लेन के एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कार्य व्यापक पैमाने पर चल रहा है। इस एक्सप्रेस-वे को बाढ़-अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामान्य सड़क की तुलना में जमीनी स्तर से कुछ उंचाई पर बनाया जा रहा है। सीमेंट कंक्रीट से मजबूत सड़क बनाने के पहले इसके नीचे मिट्टी की मोटी चादर बिछाई जा रही है जिसके लिए प्रतिदिन कई हजार घन मीटर मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है और इस मिट्टी की आपूर्ति भी निर्बाध रूप से जा रही है लेकिन यह मिट्टी आखिर आ कहां से जा रही है?
मोटी परत बिछाने में इस्तेमाल की जा रही मिट्टी की खुदाई के लिए इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगी कंपनी ने कोटा जिले में कहां-कहां वैध तरीके से खाने आवंटित करा रखी है?, इस बारे में जानकारी जुटाने के लिए कोई पुख्ता निगरानी व्यवस्था नहीं है और जिस खान और वन महकमें पर इसकी निगरानी रखने का जिम्मा है, वह इस पूरे गोरखधंधे से मुंह फ़ेरे है।

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जिला कलक्टर को लिखा विधायक भरत सिंह का पत्र।

इसका नतीजा यह निकल रहा है कि मूल निर्माण कंपनी के लिए काम कर रहे पेटी ठेकेदार मजे से प्राकृतिक धरोहर को खोद-खोदकर उजाड़ते हुए जमीन से मिट्टी का दोहन कर रहे हैं और प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद किया जा रहा है, लेकिन कोई धणी-धोरी नहीं है जो पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ने के लिए किए जा रहे इन कुत्सित प्रयासों की रोकथाम की कोशिश कर सकें। यह स्थिति तो तब है जब राजस्थान सरकार के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया कोटा संभाग के बारां जिले की अंता विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन इससे भी बड़ा दुर्भाग्यजनक पहलू यह है कि अवैध खनन का यह काला कारोबार तो अंता विधानसभा क्षेत्र यहां तक कि बारां जिला मुख्यालय में स्थित ऐसे मिनी सचिवालय के नजदीक ही धड़ल्ले से जारी है जहां जिला कलक्टर सहित जिले के आला अधिकारी नियमित रूप से बैठते हैं।
अपने निजी स्वार्थ के लिये प्राकृतिक सम्पदा को अपूरणीय क्षति पहुंचाने में से जुड़े इस मसले को राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य और कोटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर ने एक बार फिर से पुरजोर तरीके से उठाया है। श्री भरत सिंह ने कोटा के जिला कलक्टर को भेजे एक पत्र में कहा है कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के सुल्तानपुर इलाके में एक्सप्रेस हाईवे के निर्माण क्षेत्र के हिस्से की पंचायत खेड़ली तंवरान का दौरा किया था। आठ लेन के एक्सप्रेस-वे के निर्माण में बड़ी मात्रा में मिट्टी का उपयोग किया जाता है। मिट्टी कहां से लाई जा रही है, इसकी जानकारी प्राप्त करने पर उन्हें यह बताया गया कि पंचायत में नोताड़ा,खेड़ली तंवरान, मंडावरा जैसे गांवों में चंबल नदी से वन भूमि में बड़े पैमाने पर अवैध खनन पर मिट्टी को निकाला जा रहा है और इसका उपयोग इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण किया जा रहा है।
श्री भरत सिंह ने अपने इस पत्र में जिला कलक्टर की जानकारी में यह लाया गया है कि राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथम्बोर नेशनल पार्क से निकलने वाली एक बाघिन इसी जंगल में कुछ साल पहले तक निवास करती थी लेकिन अब सुल्तानपुर क्षेत्र की इस वन भूमि को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में लगी कंपनी और उसके पेटी ठेकेदार नष्ट करने पर आमदा है।
श्री भरत सिंह ने जिला कलक्टर से अनुरोध किया है कि वह राजस्व विभाग से रिपोर्ट प्राप्त कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और खनन महकमें ने कहां-कहां से मिट्टी उठाने की अनुमति दी गई, उस स्थान एवं वन भूमि का अवलोकन किया जाए। रबी कृषि सत्र की फसल कटने के नजदीक है और आशंका यह है कि गर्मी में दिन-रात एक करके अवैध खनन कर जंगल की जमीन को खोद-खोद कर नष्ट कर दिया जायेगा। इस बात की भी पूरी आशंका है कि इस वन भूमि को आने वाले समय में अतिक्रमण कर खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इस तरह वन भूमि का नष्ट होना अमूमन थे। लिहाजा प्रशासन को पहल करनी चाहिए और इस काले कारोबार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने अपने इस पत्र की प्रतिलिपि राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख शासन सचिव शेखर अग्रवाल को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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