
-शिफाली हूं-

उम्र के पतझड़ में बसंत की धूप लेते जोड़े की तस्वीर दुनिया की सबसे खूबसूरत प्रेम तस्वीर है…..मेंहदी वाले हरे रंग की साड़ी पहने….बची हुई चोटी में लाल रिबन लगाए जो लड़की है, वो सामने बैठे अपने दोस्त के लिए सलाई पर दो का चार कर रही है….आंखे चार हुए तो जमाना बीता….लड़की ने पिछले महीने ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया है….सलाईयों को संभालते फंदा याद रखना है, इसलिए बाकी सब भूल जाती है लड़की… ये भी कि अनजाने मे उसके पैर उन पैरों को छू गए हैं, करवा चौथ, एकादशी, तीज पर साल दर साल….जिनको छूकर सदासुहागिन रहने का आर्शीवाद लिया है उसने …..लड़का बंद आंखों में उम्र का फ्लश बैक देख रहा है….सुबह की चाय के बाद बिना नागा दोनों बगीचे में आते हैं….प्रेम जब फिक्र में तब्दील हो रहा हो…तब गुलाब का सुर्ख रंग बीपी शुगर , विटामिन्स की गोलियों में उतरना लाजिमी है ….सात जन्मों के साथ के वादे, इन कमजोर हाथों से छूटने लगे हैं…..वो एक दूसरे को देखते हैं तो इस तड़प के साथ कि जाने किसका बुलावा पहले आ जाए …लड़की कई बार कह चुकी है, पहले मैं जाऊंगी….ताकि कुछ साल तुम मेरी कटकट के बगैर इत्मीनान से रह सको…..लड़का कई बार कह चुका है, पहले मैं जाऊंगा…तुम्हारी कटकट ना सुनो तो बीपी नार्मल नहीं रह पाता मेरा…..जानते दोनों है जिस वक्त वो दिन आएगा…..हाथ खींचके भी रोक पाना मुमकिन ना होगा……तो उस दिन के पहले के किसी एक दिन की तसल्ली की तस्वीर है ये ….कि खैर मनाओ, अभी वो दिन नहीं आया….अभी तो उम्र के पतझड़ पर बसंत की धूप है…….


















???????? क्या सुंदर अंदाज़ में शब्दों को गूंथा गया है।साथ ही जीवन की सच्चाई भी
वाह बहुत खूबसूरत अंदाज शब्दों का ???? यही जीवन की वास्तविकता है।