
मेरा सपना…8
-पेरिस का दिल धडकता है सीन रीवर में
-बोट से पेरिस को देखने का है अलग ही आनंद
-शैलेश पाण्डेय-
पेरिस को यदि जानना और देखना है तो इसके मध्य में बहने वाली सीन नदी से बेहतर कुछ नहीं है। यहां आने वाले पर्यटकों में शायद ही कोई इस नदी में नाव, छोटी बोट, मोटर बोट अथवा क्रूज में सफर नहीं करता हो। सुरक्षा की व्यवस्था इतनी पुख्ता कि पानी के डर से हमेशा नदी-नालों और समुद्र से दूर रहने वाली मेरी पत्नी नीलम जैसे लोग भी इस अप्रतिम आनंद को उठाने का मोह नहीं छोड़ पाए।
सीन नदी में बोटिंग के लिए भीड़ उमडती है। लेकिन टूर मैनेजर राहुल जाधव ने पहले ही टिकट के इंतजाम कर लिए थे। हम जैसे ही पहुंचे बोट तैयार थी। सभी लोगों में अच्छी से अच्छी जगह घेरने की होड़ थी ताकि पेरिस का दृश्य हर तरफ से स्पष्ट देखा जा सके। करीब दो सौ पर्यटक इस बोट में सवार होंगे जिसमें बड़ी संख्या में जापान, कोरिया जैसे ईस्ट एशियाई देशों के थे। जैसे ही हम कुर्सियों पर बैठे बोट मंथर गति से नदी की धारा में बहने लगी। बोट में कमेंट्री का सिस्टम भी था जिस पर अंग्रेजी में रास्ते में जो भी प्रमुख ऐतिहासिक या महत्वपूर्ण इमारत और स्थल आते उसके बारे में जानकारी दी जाती।

सीन नदी पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर ओवर ब्रिज बने हुए थे। वहां पर खड़े होकर लोग बोटिंग करने वालों को देखते और जैसे ही बोट वहां पहुँचती हाथ हिलाकर अभिवादन और हौसला अफजाई करते। थोड़ी ही देर में लोग धीरे-धीरे कर अपनी सीट से उठने लगे और किनारे पर रेलिंग के सहारे खड़े होकर बोटिंग का मजा लेने लगे। लोगों में रील बनाने और ऐतिहासिक इमारतों की फोटो लेने की होड़ मची थी। इस दौरान यदि किसी के कैमरे की रेंज में कोई आ भी जाए तो कोई गिलवा शिकायत नहीं। वैसे यूरोप में सभी जगह यह शिष्टाचार देखा कि यदि आप फोटो ले रहे हैं और रास्ते से लोग गुजर रहे हैं तो वह रूक जाएंगे ताकि आपका फोटो खराब नहीं हो। जब आप इशारा करेंगे तभी आपके सामने से गुजरेंगे।

हालांकि जब हम सीन नदी पर बोटिंग के लिए आ रहे थे तब रास्ते में भी कई ऐतिहासिक इमारतें दिखी थीं लेकिन उन्हें हमने चलती बस से ही देखा था। खुली एवं मंथर गति से नदी में बहती बोट से चारों ओर का नजारा देखने का अद्भुत अहसास हो रहा था। खासियत यह थी कि बोट एक निश्चित दूरी पर जाने के बाद वापस लौटी। इससे फायदा यह हुआ कि बोट में सवार सभी लोगों को दोनों छोर का नजारा देखने को मिल गया।

सीन नदी एक तरह से पेरिस के प्राण हैं। पेरिस ओलम्पिक के आयोजन के दौरान भी यहां नौकायन समेत कुछ प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं वहीं उद्घाटन के दौरान भी दर्शकों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। जब हम बोटिंग कर रहे थे तब सीन नदी के किनारे ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के लिए कुर्सियां लगाई जा रही थीं। नदी के किनारों पर कई जगह गिटार और ड्रम जैसे अनेक तरह के वाद्य यंत्रों से संगीत प्रेमी अपना और वहां घूमने आने वालों का मनोरंजन कर रहे थे। कई लोग ग्रुप में पिकनिक का मजा ले रहे थे।

सुबह जब एफिल टॉवर देखने गए थे तब टूर मैनेजर राहुल जाधव ने बताया था कि रात को कुछ मिनट के लिए यह विश्व प्रसिद्ध स्मारक रौशनी से जगमगाता है। इस अवसर को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं। हमारे ग्रुप के कई सदस्य यह नजारा देखने के उत्सुक थे लेकिन राहुल ने बताया कि यह देर रात का कार्यक्रम है इसलिए ग्रुप का आना संभव नहीं होगा। कोई व्यक्तिगत हैसियत से आना चाहे तो आ सकता है लेकिन उसे यहां आने और होटल लौटने के लिए खुद इंतजाम करना होगा। कुछ लोग तैयार भी थे लेकिन हम जैसे लोग दिन भर की थकान के कारण इच्छुक नहीं थे।
इस बीच जब हम सीन नदी में एक तरफ की बोटिंग कर लौट रहे थे तब एफिल टॉवर पर ओलंपिंक में प्रतीक पांच छल्ले रोशनी से जगमगा उठे। उस समय मै और बेटा अजातशत्रु बोट में एक ही जगह खड़े थे इसलिए हमने कई फोटो लिए फिर नीलम जी को बुला लिया। हमारे एक साथी ने ऐसे अवसर पर हम तीनों की यादगार फोटो भी ली।

अभी हम इसमें व्यस्त थे और कुछ धुंधलका सा होने लगा था तभी एफिल टॉवर रोशनी से जगमगाने लगा। बोट में सवार सभी लोग खुशी से चीख उठे क्योंकि यह अप्रत्याशित था. एफिल टॉवर की जगमगाहट देखने लायक थी। जिस रौशनी को देखने का हम विचार ही छोड़ चुके थे किस्मत से उसे इस तरह देख दंग रह गए। सीन नदी और एफिल टॉवर की रौशनी से जगमगाहट जीवन के अमूल्य क्षण थे जिनको हमने पूरी तन्यता और उमंग और उल्लास के साथ जिया। यह ऐसा अनुभव था जिसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं है। इसके बाद बोट का सफर समाप्त कर हम लोग होटल लौट आए और अगले दिन एक ओर अजूबे डिज्नीलैंड जाने की तैयारी करने लगे।