
-अमित पारीक-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा में गुरुवार को करवा चौथ का त्यौहार धूम धाम से मनाया गया। दो साल कोरोना के कारण महिलाएं करवा चौथ पर सामूहिक पूजा अर्चना, चौथ माता दर्शन इत्यादी नहीं कर सकी थीं। यहां तक कि उन्हें खरीदारी करने का भी पर्याप्त मौका नहीं मिला था। लेकिन इस बार महिलाओं ने पूरे उत्साह और श्रदधा से इस त्यौहार का लुत्फ उठाया।
हालांकि कठिन व्रत की वजह से उन्हें दिन भर भूखे और प्यासे रहने से परेशानी भी हुई लेकिन सुहागिनों के लिए करवा चौथ सभी व्रतों में अधिक महत्व रखता है। अपने सुहाग की रक्षा, दीर्घायु और खुशहाली के लिए महिलाएं सुबह से लेकर रात चांद निकलने तक अन्नए जल का त्याग कर करवा चौथ का व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन जो पत्नी पूर्ण विश्वास के साथ माता करवा की पूजा करती हैं उसके पति पर कभी कोई आंच नहीं आती।
महाभारत काल में भी इस व्रत का महत्व मिलता है। एक प्रसंग के अनुसार जब पांडवों पर संकट के बादल मंडराए थे तो द्रोपदी ने श्रीकृष्ण द्वारा बताए करवा चौथ व्रत की पूजा की थी। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को संकटों से छुटकारा मिला था।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध शुरू हो गया। जंग के मैदान में दानव देवताओं पर हावी हो गए थे। युद्ध में सभी देवताओं को संकट में देख उनकी पत्नियां विचलित होने लगीं। पति के प्राणों की रक्षा के उपाय हेतु सभी स्त्रियां ब्रह्मदेव के पास पहुंची।
ब्रह्मा जी ने देवताओं की पत्नियों से करवा चौथ व्रत करने को कहा। ब्रह्मदेव बोले कि इस व्रत के प्रभाव से देवताओं पर कोई आंच नहीं आएगी और युद्ध में वह जीत प्राप्त करेंगे। ब्रह्मा जी की बात सुनकर सभी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत कियाए जिसके परिणाम स्वरूप करवा माता ने देवताओं के प्राणों की रक्षा की और वह युद्घ में विजय हुए।
सभी को करवा चौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं