चिड़ियाघर में स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनाने के प्रकरण में लोकसभा अध्यक्ष से हस्तक्षेप की मांग

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-स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स अन्यत्र बनाया जाए
.चिड़ियाघर में जुटे वन्यजीव प्रेमी

कोटा। कोटा विकास प्राधिकरण की नयापुरा स्थित हरे भरे क्षेत्र चिड़ियाघर में स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनाने की योजना का पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमियों ने कड़ा विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मांग की है कि पर्यावरण विरोधी गतिविधि को तत्काल हस्तक्षेप कर रोका जाए।
नयापुरा स्थित चिड़ियाघर परिसर में शुक्रवार को पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी एकत्र हुए एवं सभी ने पुरजोर शब्दों में इस योजना को पर्यावरण को नुकसान ना होता हो ऐसी जगह ले जाने की अपील की। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक निधि -इंटेक के कन्वीनर निखिलेश सेठी ने चिड़ियाघर परिसर को एतिहासिक एवं पर्यावरणीय धरोहर बताते हुए सरकार से बचाने की अपील की। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संस्थाओं का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही लोकसभा अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर से भेंट कर इस योजना को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग करेगा। नेचर प्रमोटर ए एच जैदी ने बताया कि कोटा चिड़ियाघर 105 साल पुराना है और यहां हरे-भरे सैकड़ों प्रजाति के वृक्ष हैं। चंबल संसद के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि शहर के नयापुरा स्थित हरे भरे हृदय स्थल पर विभिन्न प्रजातियों के काफी पुराने वृक्ष खड़े हैं जो शहर के तापमान को नियंत्रित करने में मददगार सिद्ध हो रहे हैं। यदि हम शहर को रहने लायक बनाना चाहते हैं तो सीमेंट कंक्रीट के स्ट्रक्चर का मोह छोड़ना होगा एवं वातावरण में आक्सीजन एवं नमी प्रदान करने वाले पेड़ों को बचाना होगा। यहां अनेक विशिष्ट पक्षी, लंगूर, घड़ियाल , मगरमच्छ,बसेरा बनाए हुए हैं।

 

हम लोग संस्था के अध्यक्ष डॉ सुधीर गुप्ता ने भी कहा कि इस चिड़ियाघर को वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर तथा मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का बुकिंग स्थल के रूप में रिजर्व रखा जाए। अरण्य प्रहरी अधीनस्थ वन कर्मचारी संघ के निर्देशक जसवंत सिंह तंवर ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी पुराने चिड़ियाघर को बचाने का प्रयास करें। कोटा विकास प्राधिकरण को भी आगाह कर दिया जाए कि यहां सीमेंट कंक्रीट के स्ट्रक्चर नहीं खड़े किए जाएं। इंटेक के सदस्य अनिल शर्मा ने बताया कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जन जागृति की जाएगी। ‌वरिष्ठ वन्यजीव छायाकार डीके शर्मा ने कहा कि हमारे सांसद ओम बिरला खुद पर्यावरण प्रेमी हैं। पेड़ों को बचाने में वह खुद मददगार बने हैं । कौन से अधिकारी उन्हें गुमराह करना चाहते हैं। उन्हें बेनकाब किया जाए। वरिष्ठ वन्यजीव छायाकार मनीष आर्य ने कहा कि पर्यावरण को नष्ट-भ्रष्ट करना कोटा विकास प्राधिकरण को शोभा नहीं देता। इस घातक योजना को तत्काल रद्द किया जाए। वैद्य डॉ सुधींद्र श्रंगी ने बताया कि यहां पर कैंत जैसे कई दुर्लभ प्रजातियों के सैकड़ों ओषधीय महत्व के पेड़ है। पगमार्क संस्थान के देववृत हाडा के अलावा इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर्यावरण गतिविधियों के महानगर प्रमुख वेद प्रकाश गुप्ता, डा पृथ्वी पाल सिंह,पूर्व वन अधिकारी बिम्बाधर शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार धीरज गुप्ता, सुशील सिंह,संजय पारीक, डॉक्टर विनीत महोबिया, आर्किटेक्ट ज्योति सक्सेना, पूर्व अभियंता भुवनेश सिंघल,शेख जुनैद,मनीष त्रिपाठी, अमित जैन आदि प्रमुख लोगों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए और संघर्ष समिति के गठन की बात कही। इसके लिए अपना संस्थान की शीघ्र बैठक होगी। राष्ट्रीय जल बिरादरी, कोटा एनवायरमेंटल सैनिटेशन सोसायटी,बाघ -चीता मित्र आदि के सदस्यों ने विचार व्यक्त किए।

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