जीना है, तो डरे बिना जीना है

राहुल ने कहा, मैं सरकारी घरों में रहा। मेरे पास कभी घर नहीं था। मेरे लिए घर एक स्ट्रक्चर नहीं है, जीने का तरीका है। जिस चीज को आप कश्मीरियत कहते हैं, उसे मैं घर मानता हूं। ये कश्मीरियत है क्या? ये शिवजी की सोच है। एक तरफ और गहराई में जाएंगे, तो शून्यता कहा जा सकता है।

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श्रीनगर के शेर ए स्टेडियम में राहुल भाषण देते हुए। ट्विटर

श्रीनगर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का सोमवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनसभा के साथ समापन हो गया। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, मैंने गांधी जी से सीखा है कि जीना है, तो डरे बिना जीना है।

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श्रीनगर के शेर ए स्टेडियम में राहुल भाषण देते हुए। ट्विटर

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 30 जनवरी को 136 दिन बाद 14 राज्यों का सफ़र करते हुए श्रीनगर में समाप्त हुई। कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की इस यात्रा का घोषित उद्देश्य भारत को एकजुट करना और साथ मिलकर देश को मज़बूत करना बताया।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बार-बार कहा कि वो देश में नफ़रत के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह भाषण और मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और बेरोज़गारी, महंगाई, भारत के सीमा क्षेत्र में चीन के दख़ल का मुद्दा उठाया।

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राहुल ने कहा मैं चार दिन तक यहां पैदल चला।  जम्मू कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया। मुझे प्यार दिया। दिल खोलकर मुझे प्यार दिया। अपना माना। प्यार से आंसुओं से मेरा स्वागत किया। राहुल गांधी ने कहा कि चार दिन मैंने जैसे पैदल कश्मीर की यात्रा की, भाजपा का कोई नेता ऐसे यात्रा नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, बल्कि ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के लोग डरते हैं। राहुल ने कहा कि वे काफी सालों से रोज 8-10 किलोमीटर दौड़ते हैं। ऐसे में उन्हें लगा था कि कन्याकुमारी से कश्मीर चलने में इतनी मुश्किल नहीं होगी। यह यात्रा आसान रहेगी। उन्होंने कहा कि थोड़ा सा अहंकार आ गया था। राहुल ने कहा, मेरे बचपन में फुटबॉल के दौरान घुटने में चोट लगी थी. कन्याकुमारी से यात्रा शुरू हुई, तो घुटने में दर्द होने लगा, लेकिन बाद में कश्मीर आते आते ये दर्द खत्म हो गया।

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राहुल ने कहा, मैं सरकारी घरों में रहा। मेरे पास कभी घर नहीं था। मेरे लिए घर एक स्ट्रक्चर नहीं है, जीने का तरीका है। जिस चीज को आप कश्मीरियत कहते हैं, उसे मैं घर मानता हूं। ये कश्मीरियत है क्या? ये शिवजी की सोच है। एक तरफ और गहराई में जाएंगे, तो शून्यता कहा जा सकता है। अपने आप पर अपने अहंकार पर, अपने विचारों पर आक्रमण करना। दूसरी तरफ इस्लाम में फना कहा जाता है।सोच वही है।

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