
-प्रकाश केवडे-

रेत मिट्टी से बोली
मैं खूबसूरत
मेरा दाना दाना एक सा
समतल बिछी रहती
तू काली,मटमैली
पानी मिले तो
कीचड बनती
मिट्टी हंसते बोली
मुझ में फ़सल उगती
तू पेड पौधों को तरसती
खूबसूरत होकर भी
बांझ रहती।
प्रकाश केवडे
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-प्रकाश केवडे-
रेत मिट्टी से बोली
मैं खूबसूरत
मेरा दाना दाना एक सा
समतल बिछी रहती
तू काली,मटमैली
पानी मिले तो
कीचड बनती
मिट्टी हंसते बोली
मुझ में फ़सल उगती
तू पेड पौधों को तरसती
खूबसूरत होकर भी
बांझ रहती।
प्रकाश केवडे