
-विवेक कुमार मिश्र

हौसला एक तिनके का होता है
जब हवा में उड़ते उड़ते
आसमान की दूरियां नापता है
हौसला ही देखना तो
चींटी को देखो
समुद्र की तलहटी से
पहाड़ों के शिखर पर
अविरल धारा की तरह
चलती चली जाती है
हौसला ही देखना तो
कदम बढ़ाते बच्चों को देखो
एक एक कदम में
पूरी पृथ्वी की नाप गुंथी होती है
हौसला ही देखना तो
चुपचाप कार्य करते
उस आदमी को देखो
जो लिखता ही चला गया
पगचिह्नों से इतिहास
जिसके लिए पोथिकारों की पोथियां
कम पड़ जाती
हौसला विशालकाय शरीर में नहीं
सूक्ष्म मन में होता है
जहां सारी गतियां सिद्धियां चलती रहती हैं ।
विवेक कुमार मिश्र