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रामपुरा स्थित स्मारक का बदहाल पौंड।

-सावन कुमार टॉक-

कोटा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एक ओर करोडों रुपए खर्च कर कोटा शहर के चौराहों को नया और भव्य रूप दिया जा रहा है वहीं शहर के भीतर कई चौराहे व स्मारक आज भी पुनर्निमाण की बाट जोह रहे हैं। जिनमें रामपुरा क्षेत्र में बना व स्वतंत्रता संग्राम का केन्द्र रहा स्मारक व शॉपिंग सेंटर में लाला लाजपत राय सर्किल प्रमुख हैं।

सावन कुमार टॉक

रामपुरा का स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी स्मारक 

एक समय था जब कोटा के आन्दोलनकारियों ने ब्रिटीश शासन काल में रामपुरा कोतवाली पर कब्जा कर लिया था। तीन दिनों तक कब्जा रहा व गुलाब चन्द शर्मा ने शहर कोतवाल के रूप में मोर्चा संभाला। पीपल के पेड़ के यहां बाजार में स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी स्मारक पर आज भी जब स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया जाता है तो वहां मौजूद लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। वैसे तो पूरे वर्ष ही यहां सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियां होती रहती हैं। यूआईटी द्वारा बनाए गए इस स्मारक की व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देने के कारण यहां बना फाउन्टेन पेट कचरा पात्र का रूप लेता जा रहा है। इस स्मारक को सार संभाल की जरुरत है। जब पूरे शहर को ही नया स्वरूप दिया जा रहा है तो स्वतंत्रता संग्रम का साक्षी रहा यह स्थान भी विकास से क्यों अछूता है।

रामपुरा बाजार वंदे मातरम, भारत माता की जय से गुंजायमान हो उठा था
वर्ष 2006 के दिसम्बर माह की 11 तारीख जब यूआईटी द्वारा रामपुरा बाजार में बनाए गए स्मारक का लोकार्पण राज्य की सरकार में नगरीय विकास विभाग के राज्य मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने किया था। वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व भवानी सिंह राजावत तत्कालीन सरकार में संसदीय सचिव थे। स्मारक के नाम पर यहां एक शिलापट्ट स्थापित किया गया था। जिस पर लिखे स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी वाले शिलापट्ट से पर्दा उठा तो पूरा रामपुरा बाजार तालियों की गडग़ड़ाहट व वंदे मातरम, भारत माता की जय से गुंजायमान हो उठा था। स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी व स्वतंत्रता सैनानी आनन्द लक्ष्मण खण्डेकर, बबू साहब हीरालाल जैन, जगमल बठिय व गुलाब चन्द शर्मा सहित हजारों लोग इस क्षण के साक्षी रहे थे। स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान भी किया गया तो सबने एक स्वर में कहा था कि हमारे जैसे सैकड़ों लोग थे जिनके नाम सरकारी दस्तावेजों में नहीं आ सके उन सभी को नमन है। इस तरह शुरू हुई स्मारक बनाने की प्रक्रिया।
रामपुरा के स्थानीय निवासी चन्द्रप्रकाश श्रृंगी बताते हैं कि जब वह रामपुरा व्यापार संघ के अध्यक्ष थे तो मन में विचार आया कि कोटा रामपुरा बाजार स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि रहा है। जो स्वतंत्रता सेनानी है उनके सौ बरस पूरे होने पर इन्हें कोई याद भी करेगा या नहीं। इसे यादगार बनाने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू कर राज्य सरकारों को लिखा गया। नगर निगम, जिला कलक्टर, यूआईटी व जनप्रतिनिधियों को पत्र लिख अवगत करवाया गया कि जो स्वतंत्रता संग्राम हुआ। रामपुरा बजार से आजादी का जो आन्दोलन हुआ। उसकी एक पहचान बन जाए। स्वतंत्रता सेनानियों की भी इसमें रजामन्दी थी।

स्वतंत्रता का साक्षी स्मारक नाम पर बनी एक राय
जब इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने स्वीकार किया तो एक चिट्टी वहां से भेजी गई जिसमें कहा गया था कि यहां लिखवाया क्या जाए ? इस पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों जिनमें बाबू साहब हीरालाल जैन, जगफल बठिया, आनन्द लक्ष्मण खाण्डेकर व गुलाब चन्द शर्मा से सामूहिक वार्ता कर उनके नाम अंकित करवाने की बात कही गई तो चारों ने एक स्वर में मना करते हुए कहा था कि सैकड़ों ने लाठियां खाई हैं, कई गुमनाम हैं, हमारा नाम सरकारी दस्तावेजों में आ गया तो हमारा ही ठेका थोड़ी है। रिकोर्ड में उनके नाम नहीं हैं किन किन के नाम लिखेगे। बाद में एक राय बनी कि इसे स्वतंत्रता का साक्षी स्मारक नाम दिया जाए। स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी स्मारक तैयार कर यूआईटी को भेजा गया व जहां से तकमिना तैयार हुआ व इस स्मारक का निर्माण करवाया गया। जहां काले ग्रेनाइट पर समारक का नाम लिख गया। वाटर फाउन्टेन भी लगाए गए। जो कुछ वर्षों तक तो ठीक प्रकार चले लेकिन बाद में यूआईटी व स्थानीय लोगों का ध्यान नहीं होने के कारण बन्द हो गए। वर्तमान में यहां बना फाउन्टेन पौंड कचरा पात्र बना हुआ है। चारों स्वतंत्रता सेनानियों का भी निधन हो चुका है।

ब्रिटिश शासन के समय कोतवाली पर जमे रहे थे आन्दोलनकारी
आन्दोलनकारियों ने ब्रिटीश शासन के समय समपुरा कोतवाली पर अपना कब्जा जमा लिया था। गुलाब चन्द शर्मा तीन दिनों क शहर कोतवाल रहे। आज भी रामपुरा में थाने को कोतवली के नाम से जाना जाता है।

शौपिंग सेंटर का लाजपत राय सर्किल 

लाला लाजपत राय सर्कल।

शहर के शॉपिंग सेन्टर स्थित लाला लाजपतराय चौराहे पर बना सर्किल भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यहां आस पास के दुकानदारों ने बताया कि सर्किल की साफ सफाई तक समय पर नहीं होती। अन्दर की ओर फर्श के पत्थर कई जगह से उखड़ चुके हैं। पिछले माह यहां अंधड़ के दौरान एक पेड़ उखड़ गया था जो कई दिनों तक सर्किल की जाली से ही अटका रहा। लेकिन न्यास व निगम प्रशासन ने पेड़ को हटवाने की जिम्मेदारी नही समझी। प्रतिमा भी अपना स्वरूप खोती जा रही है। निर्माण के बाद रंग रोगन तक नही करवाया गया। इस सर्किल का लोकार्पण पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत द्वारा किया गया था। किसी समय रोशनी से जगमग रहने वाला यह सर्किल अब अपने जिर्णोद्धार को तरस रहा है।

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