भारत जोड़ो यात्रा: पृथ्वी का नक्शा और आदमी

स्पष्ट है कि लोग अपने देश राजनैतिक दलों के नेताओं को अपने बीच ना सिर्फ देखना चाहते है, बल्कि बहुत कुछ है जो वो उनसे कहना और साझा करना चाहते है

rahul 1

-सुनील कुमार मिश्रा-

rahul 4

एक भूगोल का शिक्षक उस सत्र की अंतिम क्लास पढ़ाने कक्षा में पहुंचता है। इसके बाद फाइनल एग्जाम होने थे। शिक्षक ने विद्यार्थियों को क्लास में ली जाने वाली परीक्षा के लिए तैयार होने को कहा और ब्लैक बोर्ड पर पृथ्वी का नक्शा टांग कर पूंछा कि आप सब इस नक्शे की एक-एक बारीकी से परिचित है? सभी विद्यार्थियों के एक स्वर में “हां” कहने पर, उस शिक्षक ने उस नक्शे को उतार कर कैची से छोटे-छोटे टुकड़े करके काट दिया। शिक्षक ने सभी विद्यार्थियों को नक्शे को एक बार फिर से सही क्रमवार जोड़ने को बोला।

अब तो बड़ी मुश्किल हो गई। छोटे छोटे टुकड़े में पृथ्वी के नक्शे को सही क्रम में जोड़ना बड़ा मुश्किल हो गया। कोई अमेरिका के स्टेट्स एशिया में जोड़ दे रहा था, तो कोई रूस को लंदन के ऊपर फिक्स कर दे रहा था। काफी प्रयास के बाद भी सभी विद्यार्थी उन टुकड़ों को क्रमवार जोड़ने में असफल रहे। तभी एक विद्यार्थी जो काफी समय से दूर बैठा सबको असफल होता देख रहा था उठा और मेज पर फैले उन टुकड़ों को गौर से देखने लगा, उसने उन सभी टुकड़ों को पलटना शुरू कर दिया और देखा कि दूसरी तरफ एक मनुष्य की तस्वीर है। उसने उस मनुष्य की तस्वीर को आसानी से कर्मवार जोड़ा और जब उसको उसी क्रम में पलट कर देखा, तो पृथ्वी का नक्शा पूरा क्रमवार सही सही जुड़ा था।

उस शिक्षक ने उस विद्यार्थी की पीठ ठोकी और विद्यार्थियों से बोला ???? पृथ्वी पर जब तक मनुष्य है तभी तक ये नक्शा कीमती है, पढ़ने, देखने और जानने योग्य है। इसलिए प्रेम और करुणा से मानवता की सेवा और रक्षा करना मेरी अंतिम और बेशकीमती शिक्षा है।

rahul 3

आज राहुल जी की “भारत जोड़ो यात्रा” को भी इसी दृष्टि से देखने और समझने की जरूरत है। हर देश की सीमाओं को टुकड़ों में दर्शाते इस पृथ्वी के नक्शें में एक बात कॉमन है और वो है ????” मनुष्य और मनुष्य का पोषण है मानवता”। भविष्य में ये यात्रा देश में मानवीय मूल्यों को समझने और स्थापित करने में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी और ये यात्रा पूरे विश्व के राजनैतिक नेताओं के लिए एक सीख साबित होगी, इसीलिए विश्व का मीडिया इसको ना सिर्फ तबज्जों दे रहा है, बल्कि अपने देशों की सरकारों को समझा भी रहा है कि जनता के हित में जनता के लिए शासन करना और जनता से जुड़ना ???? दो अलग अलग बातें है। जिस प्रकार से लोग राहुल गांधी जी से चिपट चिपट के मिल रहे है और बहुत सारे ऐसे चित्र है, जिसमें लोग चिपटने के बाद रोने लगते है। स्पष्ट है कि लोग अपने देश राजनैतिक दलों के नेताओं को अपने बीच ना सिर्फ देखना चाहते है, बल्कि बहुत कुछ है जो वो उनसे कहना और साझा करना चाहते है।

rahul 2

निश्चित ही सदियों तक राहुल गांधी जी की “भारत जोड़ो यात्रा” विश्व में मानवीय और राजनैतिक समझ रखने वालों के बीच विमर्श का मुद्दा होगी, ये भी याद रक्खा जाएगा कि कैसे सरकार की गोदी में महफूज बैठे भारत के मीडिया ने उस वक्त इस यात्रा को नकार के अपने ही देश की जनभावना के साथ ना सिर्फ खिलवाड़ किया, बल्कि उससे एक दूरी बना के भारी चूक कर दी…

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments