भारत मिस्र के रिश्तों में दोस्ती का नया दौरः रणनीतिक साझेदारी तक जाएंगे रिश्ते, बढ़ेगा आपसी सहयोग

भारत कठिन प्रयासकर मुस्लिम जगत से अपने रिश्तों में निरंतर सुधार कर रहा है। इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार और हर मंच पर भारत के खिलाफ जहर उगलने के बावजूद इस्लामिक देशों के साथ भारत के रिश्ते खराब नहीं हुए और उनके साथ सहयोग व व्यापार बढ़ा है। मिस्र भी इस्लामिक देशों के संगठन का सदस्य है और वह आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज है। ऐसे में उसके साथ करीबी रिश्ते भारत के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं

modi and mistra president
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी से गर्मजोशी से मिलते हुए। फोटो पीआईबी

-द ओपिनियन-

नई दिल्ली। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। वे मंगलवार शाम नई दिल्ली पहुंचे थे। आज बुधवार को उनका राष्ट्रपति भवन में शानदार स्वागत किया गया। अल सीसी गुरुवार को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी का मुख्य अतिथि होना बहुत अहम है। इसका अर्थ यह है कि भारत मिस्र के साथ अपने रिश्तों को नया आयाम देना चाहता है और उनको और मजबूत बनाना चाहता है। वैसे मिस्र के साथ भारत के रिश्ते सदा से दोस्ताना रहे हैं। पंडित नेहरू के जमाने में मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति नासिर के साथ उनके बहुत घनिष्ठ संबंध थे। लेकिन बदलते विश्व परिदृश्य में भारत अपने रिश्ते और मजबूत करना चाहता है।
अल सीसी का राष्ट्रपति भवन में परम्परागत रूप स्वागत किया गया जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी अगवानी की। बाद में उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में अल सिसी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने आपसी हितों के द्विपक्षीय और अंतरा राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर वार्ता हुई। दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को मजबूत करने और रक्षा सहयोग बढ़ाने तथा रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर तक ले जाने का फैसला किया है। दोनों देशों ने खूफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान का भी फैसला लिया गया है। आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय मंचों विशेषरूप से जी 20 में सहयोग पर भी चर्चा की।
ज्ञात रहे कि भारत और मिस्र के बीच गत दो तीन सालों में उच्च स्तर पर बातचीत का सिलसिला और संपर्क भी बढ़ा है और इसका नतीजा यह हुआ है कि दोनों देशों के बीच व्यापार भी बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2026-27 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार को 12 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसलिए अहम हैं भारत व मिस्र के रिश्ते

भारत कठिन प्रयासकर मुस्लिम जगत से अपने रिश्तों में निरंतर सुधार कर रहा है। इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार और हर मंच पर भारत के खिलाफ जहर उगलने के बावजूद इस्लामिक देशों के साथ भारत के रिश्ते खराब नहीं हुए और उनके साथ सहयोग व व्यापार बढ़ा है। मिस्र भी इस्लामिक देशों के संगठन का सदस्य है और वह आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज है। ऐसे में उसके साथ करीबी रिश्ते भारत के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं। भारत के सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात व अन्य खाड़ी के देशों से बहुत अच्छे संबंध हैं। ऐसे में मिस्र के साथ करीबी रिश्ते उसकी मुस्लिम जगत में पहुंच को और मजबूत बनाएगा। इन देशों के मिस्र से भी करीबी रिश्ते हैं। इससे भारत उनके साथ मिलकर अपना रिश्तों को और मजबूत कर सकता है।

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