
-डॉ अनुकृति शर्मा-

देश को गौरन्वित करने का इससे बेहतर प्रयास क्या हो सकता है कि आज इक्कीसवीं सदी में हम पुनः हमारे पूर्वजो के द्वारा दी गयी धरोहर, संस्कृति और भोजन मुख्य रूप से मिल्लेट्स को विश्व भर में प्रचारित कर रहे हैं। आज पर्यटन केवल एक रोजगार या कमाई का जरिया या व्यवस्या न होकर हम सभी के लिए हमारे देश की साख बन चुका है। नेशनल टूरिज्म डे, राष्ट्रीय पर्यटन दिवस हर साल की तरह इस साल भी 25 जनवरी को मनाया जा रहा है। परन्तु इस साल 2023 में भारत के पास इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिल्लेट्स के साथ-साथ जी 20 अध्यक्षता भी है ये दोनों मिलकर भारत को और अधिक सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने में अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सोने पे सुहागा ये है कि देश 75वां आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है जो कि भारत की सामाजिक.सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रयासरत है। इन् सभी की सफलता में सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण भूमिका पर्यटन इंडस्ट्री की रहने वाली है। भारत की जी .20 अध्यक्षता की सफतला हो या फिर इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिल्लेट्स की दोनों बेहद रूप से पर्यटन पर निर्भर करती है। भारत की जी20 अध्यक्षता अपने साथ पर्यटन और आतिथ्य उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है। देश एक वर्ष की अवधि में भाग लेने वाले 20 देशों के प्रतिनिधियों की मेजबानी करेगा और इससे भारत की यात्रा करने के लिए पर्यटकों की रुचि भी बढ़ सकती है। दो साल के पूर्ण विराम के बाद, यह पर्यटन और आतिथ्य उद्योग के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर आया है। यह एक उपयुक्त समय है जब देश महामारी के खामियाजे को जो लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भुगत चुकें है उन्हें फिर से आजीविका के संसाधन उपलब्ध करा के अपने पैरों पे खड़ा कर सकता है। पर्यटन उद्योग महिलाओं, प्रवासी श्रमिकों और युवाओं के लिए रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण चालक है। यह उन कुछ क्षेत्रों में से एक है जो स्थानीय स्तर पर और ग्रामीण युवाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है। कला, शिल्प, सांस्कृतिक, प्राकृतिक विरासत, स्थानीय परंपराएं, विरासत और सबसे महत्वपूर्ण अपनी जड़ो की तरफ वापसी। ये सभी पर्यटन की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहे है। जी 20, मिल्लेटस और पर्यटन का संगम भारत की एक ऐसी तस्वीर तैयार कर रहा है जो न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढियो के लिए आधारभूत ढांचा खड़ा कर रहा है और सही मायनो में हमे इस सदी की बेड़ियों से मुक्ति दिला के आज़ादी की तरफ ले जा रहा है। आशा यही है की इन सभी प्रयसों का उचित लाभ युवाओं, महिलाओँ और देश के ग्रामीण इलाको को मिले। साथ साथ ही साथ उम्मीद ये भी की जा सकती है कि देश के शिक्ष्ण संसथान भी जी .20, मिल्लेट्स और आजादी का अमृत महोत्सव को सफल बनने में अपनी भूमिका निभाते रहें।
(विभागाध्यक्ष, वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग, कोटा विश्वविधालय, ब्रिक्स ऑफिसियल पार्टनर)