
तीन दिन तक अविश्वास प्रस्ताव पर जमकर बहस हुई और पीएम मोदी ने चर्चा का जवाब दे दिया और प्रस्ताव गिर गया। अब सवाल उठता है कि विपक्ष पीएम मोदी को लेकर इतना अड़ क्यों गया। यह चर्चा पहले भी शुरू हो सकती थी संसद सत्र शुरू होने के साथ। गृह मंत्री चर्चा का जवाब दे देते। और प्रधानमंत्री से भी इस दौरान अनुरोध किया जा सकता था कि वे बोलें।
-द ओपिनियन-
उम्मीद के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। सत्तारूढ भाजपानीत राजग गठबंधन के पास पर्याप्त बहुमत है और किसी को भी इसमें शक नहीं था कि अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा। पिछले एक सप्ताह में संसद में विपक्ष की यह दूसरी मात है। पहले दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी संशोधन विधेयक पर विपक्ष को राज्यसभा में मात खानी पड़ी । आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधेयक को पारित होने से रोकने के लिए भरसक प्रयास किए। विधेयक को लेकर वे विपक्ष के अधिकतर नेताओं से मिले और कांग्रेस को भी विपक्षी एकता के नाम पर समर्थन में ले आए।हालांकि दिल्ली व पंजाब के कांग्रेस नेता केजरीवाल के समर्थन के पक्ष में नहीं थे। भाजपा राजग के साथ बीजद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का समर्थन हासिल करने में सफल रही। बीजद ने बाद में यह भी साफ कर दिया था कि वह अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी। बीजद का कहना था कि हालांकि वह भाजपा के खिलाफ है लेकिन पीएम मोदी ने ओडिशा की खूब सहायता की है, इसलिए वह अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी। तीन दिन तक अविश्वास प्रस्ताव पर जमकर बहस हुई और पीएम मोदी ने चर्चा का जवाब दे दिया और प्रस्ताव गिर गया। अब सवाल उठता है कि विपक्ष पीएम मोदी को लेकर इतना अड़ क्यों गया। यह चर्चा पहले भी शुरू हो सकती थी संसद सत्र शुरू होने के साथ। गृह मंत्री चर्चा का जवाब दे देते। और प्रधानमंत्री से भी इस दौरान अनुरोध किया जा सकता था कि वे बोलें। खैर अब पीएम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान खुलकर बोले। इससे पहले राहुल गांधी ने बुधवार को चर्चा के दौरान सरकार को खूब घेरा। जमकर प्रहार किए। जवाब में आज प्रधानमंत्री ने भी कांग्रेस पर खूब प्रहार किए और कहा कि पूरा देश मणिपुर के साथ खड़ा है। सचमुच पूरे देश को मणिपुर के साथ खड़ा होना चाहिए और समस्या की जड़ में भी जाना चाहिए कि क्यों दो समुदाय एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। यह अविश्वास इतना क्यों बढ़ गया है? क्या कोई विदेशी ताकतों के हाथों में खेल रहा है? पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने गत दिनों एक कार्यक्रम में इस बात की ओर इशारा किया था। इसलिए जरूरी है कि अब पक्ष विपक्ष एकदूसरे पर जमकर बरसने के बाद समस्या की जड़ में जाने की कोशिश करें और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा जाए। वहां महिलाओं के साथ हुए जघन्य अपराध के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। जितना जल्दी न्याय होगा उतनी ही जल्द लोगों के जख्म भरना शुरू होंगे। अब एक बड़ी पहल वहां सौहार्द लौटाने की होने चाहिए।
पीएम मोदी का जवाब करीब 2 घंटे 12 मिनट तक चला। हालांकि इसके बीच में विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया। पीएम के भाषण के दौरान विपक्ष ने टोकाटोकी भी की।
मणिपुर में शांति का सूरज जरूर उगेगा
पीएम मोदी ने कहा मणिपुर में अदालत का फैसला आया और उसके बाद पक्ष-विपक्ष में जो परिस्थितियां बनीं उसमें हिंसा का दौर शुरू हुआ। महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए और यह अपराध अक्षम्य हैं और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कोशिश कर रही है। जिस तरह से प्रयास चल रहे हैं, करीबी भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा। मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आने वाले समय में मणिपुर में शांति बहाल होगी। मैं मणिपुर की महिलाओं और बेटियों सहित मणिपुर के लोगों से कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है। अब बस उम्मीद की जानी चाहिए कि पीएम मोदी की बात खरी साबित हो और वहां शांति का सूरज उगे। इसके लिए एक बड़ी व सार्थक पहल किए जाने की जरूरत है।