-पूर्व राज्यसभा सांसद वृदा करात ने स्मार्ट मीटर, महिला अत्याचार, सहरिया आदिवासियों और जेके श्रमिकों के मुद्दे उठाए
-जे के श्रमिकों के मुद्दे को अपने सांसदों के जरिए स्पीकर के समक्ष उठाकर कराएंगे हल
-शैलेश पाण्डेय-

वृंदा करात (बंगाली में बृंदा करात) को आप भीड़ में भी एक सौम्य, सहज और कुलीन और शिक्षित महिला के तौर पर पहचान लेंगे। लेकिन जैसे ही सामाजिक, राजनीतिक और आम जन के मुद्दों पर वह बोलना शुरू करेंगी तो आपको पता चल जाएगा कि यह राज्यसभा सांसद यों ही नहीं बन गईं। वह राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार मंच की उपाध्यक्ष के तौर पर जन कल्याण के लिए कितनी आतुर हैं यह उनसे बातचीत करने पर ही पता चलता है। वह अपनी बात को प्रखरता और तर्कों के साथ रखती हैं। किसी भी मुद्दे का उनके पास सटीक और तर्कपूर्ण जवाब मौजूद है। उनकी वॉक चातुर्य और आम जन के अधिकारों के लिए लड़ने के दृढ संकल्प के कारण ही उन्हें 2005 में सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्य बनने का गौरव हासिल हुआ।
वृंदा करात दो दिन से कोटा और बारां के शाहबाद के दौरे पर थीं और आज कोटा में संवाददाता सम्मेलन में भागीदारी के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में भाग लेकर शाम को ट्रेन से दिल्ली लौट गईं। वृंदा करात ने संवाददाता सम्मेलन और विभिन्न टीवी चैनल से अलग-अलग साक्षात्कार में कोटा में जेके सिंथेटिक्स के श्रमिकों के संघर्ष, राजस्थान में डबल इंजन सरकार के कामकाज, शाहबाद के सहरिया आदिवासियों के कुपोषण और दुर्दशापूर्ण जीवन तथा बिजली के स्मार्ट मीटर से लेकर केन्द्र सरकार की नीतियों पर खुलकर बात की।
उन्होंने शुरू में ही स्पष्ट कर दिया कि उनका यहां आने का उद्देश्य जेके श्रमिकों के संघर्ष को समझना और इसमें किस तरह मदद की जा सकती है तथा शाहबाद के आदिवासियों के बीच जन सुनवाई था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा राजस्थान में स्मार्ट मीटर का कांसेप्ट बिजली कंपनियों को मदद देने के लिए लाया गया है। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि आपको एडवांस में पैसा देना पड़ेगा जबकि बिजली का बिल बाद में आएगा और जबकि बिजली मिलती है या नहीं यह अलग बात है। पूरे प्रदेश का किसान इस स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहा है लेकिन सरकार है कि चुप्पी साधे बैठी है। किसानों ने स्मार्ट मीटर लगाने से इनकार किया है और इसका हम समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार के मामले बढने के आंकड़े सामने आ रहे हैं। यह भी बहुत चिंता का विषय है।
उन्होंने कोटा का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां के सांसद बिरला जी स्पीकर जैसे बहुत बड़े पद पर हैं। लेकिन हमें यहां आकर पता चला कि उनके संसदीय क्षेत्र के जेके के श्रमिक 196 दिन से बारिश और गर्मी में धरने पर बैठे हैं। लेकिन सांसद महोदय ने एक बार खबर तक नहीं ली। जबकि यह श्रमिक कोटा के नागरिक हैं और उन्होंने बिरला जी को वोट दिया है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को कानून के जरिए जीत मिल गई कि या तो उनको नौकरी दो या जमीन बेचकर उनका बकाया चुकाओ। लेकिन भाजपा की सरकार और यहां का भाजपा का कार्पोरेशन इसे अमल में नहीं ला रहा। हम दिल्ली जाकर अपने सांसदों के जरिए बिरला जी को जेके श्रमिकों के संघर्ष की खबर पहुंचवाएंगे। मुझे उम्मीद है कि उनके हस्तक्षेप से यह मुद्दा हल होगा।
वृंदा करात ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी का विशेष आदिवासियों के समूह पर विशेष ध्यान है। इसमें बारां जिले के शाहबाद के सहरिया आदिवासी भी शामिल हैं। हमने वहां जाकर देखा कि आदिवासियों की हजारों बीघा जमीन की लूट हुई है। जिस जमीन पर आदिवासियों के अलावा और किसी का हक नहीं हो सकता वहां भी ऐसे लोग काबिज हैं। वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी कोई चीज नहीं है। हमने आदिवासी महिला की मेडिकल रिपोर्ट देखी उसका हीमोग्लोबीन एकदम कम था। मोदी जी इनके कल्याण के लिए जो हजारों करोड रूपए के आवंटन के बारे में बोल रहे हैं या तो वह गलत है अथवा उस रूपए की लूट हो रही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर यह पैसा जा कहां रहा है। हमने देखा सड़क नहीं है। स्कूल खंडहर पड़ा है। जो पंचायत का कमरा बना है उसके चारों ओर पानी भरा है। उन्होंने एक सरपंच का उल्लेख करते हुए कहा कि उक्त महिला सरपंच ने बताया कि वह बार-बार ब्लॉक डवलपमेंट आफीसर के पास जा रहे हैं लेकिन वह फण्ड ही नहीं दे रहा। हमें दीवार पर चढकर पंचायत कमरे तक जाना पड़ा। इसका मतलब राजस्थान में डबल इंजन लूट हो रहा है।
वृंदा करात के संवाददाता सम्मेलन को पूरा संलग्न वीडियो से देखा जा सकता है…

















