सरपंच हो तो प्रशांत पाटनी जैसा!

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शाहबाद जंगल बचाओ संघर्ष समिति के पोस्टर के विमोचन पर राजेन्द्र सिंह एवं ब्रजेश विजयवर्गीय के साथ प्रशांत पाटनी।

-शैलेश पाण्डेय

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प्रशांत पाटनी के साथ सेल्फी।

देश में सभी सरपंच प्रशांत पाटनी जैसे होने चाहिए। यह विचार किसी आम जन के नहीं बल्कि जाने माने पत्रकार धीरेन्द्र राहुल के हैं। प्रतिष्ठित राजस्थान पत्रिका समेत मीडिया में करीब चार दशक से अधिक समय से सक्रिय राहुल जी अपनी निर्भीक शैली की वजह से खांटी पत्रकार माने जाते हैं। सोशल मीडिया पर उनकेे लेख पर जितनी टिप्पणी और लाइक मिलते हैं वह उनकी लोकप्रियता का एक उदाहरण है। निजी जीवन में राहुल जी जितने सहज और सरल हैं पत्रकारिता में उनका रूप उतना ही अलग है। एक दम निर्विकार। मानो आपको जानते ही नहीं हों। ना काहू से दोस्ती और ना काहू से बैर की पत्रकारिता। बगैर परिणाम की चिंता किए अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने और लिखने में कोई संकोच नहीं। यदि ऐसा पत्रकार बारां जिले के गांव कुंजेड के सरपंच प्रशांत पाटनी के संदर्भ में प्रशंसा के दो शब्द नहीं बल्कि यह कह दे कि देश में सभी सरपंच उनके जैसे हों तो बहुत बडी बात है। राहुल जी पत्रकारिता के पेशे में हमेशा हमारे आदर्श रहे। इसलिए उनकी हर बात हमारे लिए इस पेशे के एक अध्याय की तरह होती है। जैसा राहुल जी ने प्रशांत जी के लिए कहा वैसा रविवार पांच जनवरी को बारां में उनको पहली ही मुलाकात में मैने पाया। हालांकि प्रशांत जी की उच्च शिक्षा दीक्षा के बावजूद गांववासियों के बीच रहकर कुंजेड में किए जा रहे विकास कार्यों के बारे में बहुत कुछ पढा और सुना था। सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर उनके पर्यावरण संबंधी नवाचारों पर कभी टीका टिप्पणी भी की है। लेकिन कल जब प्रशांत जी से शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन की कार्यशाला में मुलाकात हुई और जैसे ही मैं अपना परिचय देने लगा तो उन्होंने तपाक से कहा कि मैं आपको बहुत अच्छे से जानता हूं। यह मेरे लिए आश्चर्य का विषय था क्योंकि न तो मैं कोई ऐसा पत्रकार रहा जिसने समाज पर अपने कार्य से कोई छाप छोडी और न कोई ऐसा अच्छा या बुरा कार्य किया जिससे लोग जानें। केवल फेसबुक पर एक दो टिप्पणियों से ही किसी को जानना प्रशांत जी के बडप्पन का प्रतीक है। बारां में जितना वक्त उनके सान्निध्य में गुजरा एक सुखद अहसास की तरह था। आप उनके कार्यों की कितनी भी तारीफ करो वह कोई भाव नहीं देते जबकि और किसी की ऐसे प्रशंसा कर दो तो वह फूला नहीं समाएगा।
प्रशांत जी हैं ही ऐसे कि सभी उन पर आंख मंूदकर भरोसा करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां का संरक्षक बनाया गया है। सभी जानते हैं कि शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन आम नहीं है। इसमें कितनी और कैसी बाधाएं आने वाली हैं इसका संकेत खुद जल पुरूष राजेन्द्र सिंह भी कर चुके हैं। इसके बावजूद संघर्ष समिति ने प्रशांत जी को संरक्षक चुनकर यह संदेश जरूर दिया कि यह आंदोलन न केवल बारां जिले बल्कि पर्यावरण के प्रति चिंता रखने वाले हर व्यक्ति के लिए खास ही रहेगां। यह विश्वास की ताकत हर किसी को नहीं मिलती और राहुल जी जैसे पत्रकार को भी कहना पडता है कि देश में सभी सरपंच प्रशांत पाटनी जैसे होने चाहिए।

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