कोटा जिले में किसानों को पराली जलाना पड़ेगा महंगा, लगेगा जुर्माना

फसल अवशेषों में आग लगने वाली घटनाओं की निगरानी के लिए जिला कलक्टर ने प्रत्येक ग्राम पंचायत पर राजस्व विभाग का पटवारी, कृषि विभाग का कृषि पर्यवेक्षक, एवं पंचायत राज विभाग के ग्राम विकास अधिकारी की संयुक्त कमेटी का गठन किया है। ऐसी घटना होने पर संबंधित उपखण्ड अधिकारी को जुर्माना राशि वसूलने की अभिशंषा करेगी

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प्रतीकात्मक फोटो

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले के किसानों के फसल अवशेषों पराली में आग लगाते हुये पाये जाने पर उनसे जुर्माना वसूला जायेगा। उप निदेशक कृषि विस्तार खेमराज शर्मा ने बताया कि दो एकड़ से कम भूमि वाले कृषकों पर प्रति घटना 2 हजार 500 रूपये, दो से पांच एकड़ भूमि वाले किसानों से प्रति घटना 5 हजार रूपये तथा पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों से प्रति घटना 15 हजार रूपये जुर्माना लगाया जा सकता है।

फसल अवशेषों में आग लगने वाली घटनाओं की निगरानी के लिए जिला कलक्टर ने प्रत्येक ग्राम पंचायत पर राजस्व विभाग का पटवारी, कृषि विभाग का कृषि पर्यवेक्षक, एवं पंचायत राज विभाग के ग्राम विकास अधिकारी की संयुक्त कमेटी का गठन किया है। ऐसी घटना होने पर संबंधित उपखण्ड अधिकारी को जुर्माना राशि वसूलने की अभिशंषा करेगी।

उल्लेखनीय है कि अभी किसान खरीफ फसलों की कटाई के उपरान्त खेत में फसल अवशेषों का भूसा बना लेते है और उसके बाद शेष अवशेषों में आग लगा दी जाती है, जिससे वायु प्रदूषण एवं मृदा को हानि पहुंचती है। मृदा में असंख्यक जीवाणु, किसान के मित्र केचुएं, मृदा के कार्बनिक पदार्थ आदि को नुकसान पहुंचता है, मृदा बंजर होने लगती है, वनस्पति जलकर राख हो जाती है, लाखों जीव जन्तु जल जाते हैं एवं वायु में प्रदूषण फैलता है।

कृषि विभाग ने सुझाया है कि किसान फसल अवशेषों का स्ट्रा रीपर के माध्यम से भूसा बनाकर अपने पशुओं के लिये भंडारण एवं अतिरिक्त भूसे को बेच सकते हैं। फसल अवशेषों को गोबर के साथ मिलाकर केंचुआ खाद तैयार कर सकते हैं। फसल अवशेषों का बगीचों एवं सब्जियों में मल्च के रूप में उपयोग करके पानी के वाष्पोत्सर्जन एवं खरपतवार की वृद्वि को रोक सकते हैं। कागज, गत्ते बनाने वाली एवं बायोमास से गैस बनाने वाली फैक्ट्रीयों को बेच सकते हैं। कृषि विभाग किसानों को स्ट्रा रीपर तथा रोटावेटर पर अनुदान देता है जिससे किसान स्ट्रा रीपर से भूसा बना सकते हैं तथा रोटावेटर से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मृदा की कार्बनिक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

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