क्षेत्रीय दलों पर निर्भरता त्यागनी होगी कांग्रेस को!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी को समझना होगा कि भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव भले ही जीता लेकिन जम्मू कश्मीर का चुनाव क्यों हारी। इसे समझने के लिए राहुल गांधी को फ्लैशबैक में जाना होगा, और यह पता लगाना होगा कि कांग्रेस दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, आंध्र प्रदेश्,ा झारखंड में भी भारतीय जनता पार्टी से चुनाव क्यों हारी। यह भी देखना होगा कि 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी उड़ीसा में चुनाव क्यों हारती रही। कोई वक्त था जब इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी मगर अब क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं। क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को देश के कई राज्यों से बाहर ही नहीं किया बल्कि खत्म भी कर दिया। यही भाजपा के रणनीतिकारों की कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ी रणनीति है। राज्यों में भले ही क्षेत्रीय दल अपनी सरकार बना लें मगर उन राज्यों में कांग्रेस की सरकार नहीं बननी चाहिए। यदि राहुल गांधी और कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार भाजपा की इस रणनीति को समझ ले तो कांग्रेस को कम से कम भारतीय जनता पार्टी तो नहीं हरा सकती।
दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को राज्य की सत्ता से दूर ही नहीं किया बल्कि खत्म कर दिया। कमोवेश यही हालत तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस का पश्चिम बंगाल में कर दिया। दिल्ली की तरह पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस की बुरी हालत है। बिहार की स्थिति भी कमोवेश वैसी ही है। आंध्र प्रदेश में पहले जगनमोहन रेड्डी और अब चंद्रबाबू नायडू सत्ता में हैं। झारखंड में कांग्रेस सरकार में तो है मगर सत्ता की कमान झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन के हाथों में है। यह सभी क्षेत्रीय दल ऐसे हैं जिन्होंने कभी ना कभी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को समर्थन दिया है। बिहार में जेडीयू कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार चला रही थी मगर बाद में उसने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को 90 में से 6 सीट मिली है जबकि नेशनल कांफ्रेंस 43 सीटों पर जीत कर कांग्रेस से मिलकर अपनी सरकार बना रही है। सत्ता तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरह नेशनल कांफ्रेंस के हाथ में ही रहेगी। भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार जानते हैं जहां वह जीत नहीं सकते वहां वह कांग्रेस को भी जीतने नहीं देंगे। चाहे क्षेत्रीय दल जीतकर सरकार बना ले इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान और भाजपा को फायदा राज्यसभा में भी मिलता है।
जहां क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं उनमें से कई राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं पहुंच सकता है क्योंकि उसके पास राज्यसभा की सीट जीतने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं है।
कांग्रेस को यह देखकर खुश नहीं होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर में या झारखंड में क्षेत्रीय दलों की सरकार में वह शामिल हैं बल्कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के कारण हुए नुकसान की तरफ देख कर चुनावी रणनीति बनानी होगी वरना राहुल गांधी की हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा भी व्यर्थ जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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