
-विष्णुदेव मंडल-

पूर्णिया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ प्रधानमंत्री का स्लोगन एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आधी आबादी को उनके हक दिलाने के दावे बिहार के सरजमी पर खोखले नजर आ रहे हैं।
वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर सभा एवं प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहते आ रहे हैं कि उन्होंने बिहार में जंगलराज खत्म किया। 1990 से 2005 तक लालू प्रसाद यादव का जंगल राज उन्होंने खत्म कर सुशासन का राज कायम किया, लेकिन पिछले सालों में बिहार में अपराधों का बढ़ता ग्राफ एवं महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार यह साबित करते हैं कि नीतीश के राज में बेटियां सुरक्षित नहीं है। हर दिन प्रदेश में बेटियों के साथ दुराचार एवं यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही है। प्रशासन सिर्फ लीपापोती में लगा है।
बताते चले कि विगत 12 फरवरी 2025 को पूर्णिया जिले के महीखंड नवटोलिया रघुवंश नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत 14 वर्षीय किशोरी की निर्मम हत्या एवं बलात्कार की घटना पूर्णिया से पटना होते हुए अब दिल्ली की फिजाओं में भी गूंजने लगी है। विपक्षी राजनीतिक दल भी इस सामुहिक बलात्कार एवं निर्मम हत्या के खिलाफ प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने नीतीश कुमार की शासन व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा है यह घटना को घटे अब तक 2 महीने बीत चुके हैं लेकिन पुलिस प्रशासन एवं सरकार अपराधियों को पकड़ने में नाकाम है। अपराधियों को पकड़ने के बजाय पुलिस उसे बचाने में लगी है। राज्य की शासन व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। हर दिन कहीं ना कहीं अपराध घटित हो रहे हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन अवैध उगाही में लगा है।
वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माले) बिहार के महासचिव कुणाल ने राज्य सरकार एवं पुलिस को अपराधियों को बचाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्य में बेटियां बिल्कुल सुरक्षित नहीं रहीं। हर दिन दुराचार की घटनाएं बढ रही है। सरकार के संरक्षण में असामाजिक तत्व बेटियों के साथ दुष्कर्म करने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं और प्रशासन इसकी लीपापोती में व्यस्त है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी के विद्यासागर मंडल ने इस घटना पर कहा है कि प्रशासन अपना काम कर रहा है। अपराधियों को धर-पकड़ जारी है। यह सरकार बेटियों के लिए सर्वाधिक चिंतित है। गुनहगार बहुत जल्द सलाखों के पीछे होंगे।
वही अखिल भारतीय धानुक एकता महासंघ के पदाधिकारियों बालाकांत मंडल, विष्णुदेव मंडल, मनोज कुमार मंडल आदि ने विगत 6 अप्रैल को जंतर मंतर पर समाज की बेटी के साथ घटित सामुहिक दुष्कर्म एवं हत्या पर बिहार सरकार एवं बिहार पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई नहीं होने से सरकार और प्रशासन पर लीपापोती का आरोप लगाया है।
अब सवाल उठता है कि जब नीतीश कुमार 2005 में पहली बार सत्ता आए थे तो उन्होंने बिहार में सुशासन का राज कायम किया था। लोग कानून को पालन करने लगे थे। लेकिन 20 साल तक लगातार शासन चलाने वाले नीतीश कुमार के राज में अब पुलिस प्रशासन के कामकाज में इतना अंतर कैसे हो गया है। आखिर नीतीश के सत्ता में रहने के बावजूद भी बिहार में कानून व्यवस्था ढर्रे पर क्यों नहीं है। हर दिन कहीं ना कहीं अपराध क्यों घट रहे हैं? यहां सिर्फ एक पीडिता का ही जिक्र नहीं किया जाना चाहिए बिहार में कहीं ना कहीं प्रतिदिन बेटियों के साथ जघन्य अपराध घटित हो रहे हैं और सरकार अपनी पीठ स्वयं थपथपा रही है।
मालूम हो कि विगत 6 अप्रैल रामनवमी के अवसर पर अखिल भारतीय धानुक महासंघ के बैनर तले सैकड़ो की संख्या में लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर पीड़ित परिवार के साथ न्यायिक जांच हेतु धरना और प्रदर्शन किया।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)