नेताओं के उम्रदराज होने का मसला अब नेपथ्य में

dhariwal shanti
-इस साल के अंत में प्रस्तावित राजस्थान विधानसभा के चुनाव में पूरी ताकत झोंककर सत्ता की बागडोर अपने हाथों में बरकरार रखने की कोशिश कर रही कांग्रेस सहित मुख्य प्रतिपक्ष दल भारतीय जनता पार्टी के लिए यह मुद्दा अब नेपथ्य में चला गया है कि उम्रदराज नेताओं-विधायकों की जगह युवाओं को टिकट देकर आगे बढ़ाया जाए। अब उन्हें ही टिकट दिए जाने पर जोर है जो जीत दर्ज करा सके। कोटा संभाग में ऐसे नेताओं में शांति धारीवाल का नाम सबसे प्रमुख रूप से उभरा है जो कोटा उत्तर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट के नैसर्गिक दावेदार हैं।

-कृष्ण बलदेव हाडा –

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के उम्रदराज नेताओं को टिकट नहीं देने का मामला अब नेपथ्य में चला गया है क्योंकि यह तय है कि उम्रदराज होने के बावजूद दोनों ही पार्टियों के जो नेता टिकट मिलने के बाद अपने दमखम पर चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं तो दोनों ही पार्टियों की यह मजबूरी है कि वे उन्हें टिकट दे ताकि महज उन्हें एक सीट इसलिए नहीं खोनी पड़ेगी कि पार्टी की परंपरागत सीट होने के बावजूद और टिकट के नैसर्गिक दावेदार होते हुए भी प्रत्याशी का इसलिए टिकट काट दिया गया क्योंकि वे उम्रदराज हो चले हैं और उनकी जगह पर युवा होने के नाते जिस नेता या कार्यकर्ता को टिकट दिया गया, वह चुनाव जीत नहीं पाया और सीट दूसरी पार्टी की झोली में चली गई।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोटा (उत्तर) विधानसभा सीट है जहां से वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता शांति धारीवाल विधायक हैं और श्री धारीवाल प्रदेश की अशोक गहलोत की नेतृत्व वाली सरकार में बहुत ही सशक्त और सक्षम मंत्री भी हैं लेकिन पहले पार्टी नेतृत्व की ओर से यह संकेत दिए गए थे कि उम्रदराज हो चुके नेताओं को इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके बाद बीते महिनों राहुल गांधी की भारत जोड़ी यात्रा के समापन के बाद शांति धारीवाल अपने विधानसभा क्षैत्र में लगातार दौरे कर रहे थे और उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में अपनी और पार्टी की पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान शुरू किया गया था जिसे अपार सफलता भी मिल रही थी लेकिन यह भी देखा गया कि इस समूचे अभियान के दौरान उनके पुत्र और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस पार्टी के महासचिव अमित धारीवाल लगातार उनके साथ थे और कई बार तो ऎसा भी हुआ केि श्री धारीवाल के विधानसभा या अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कोटा से बाहर होने के कारण उनके स्थान पर अमित धारीवाल ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान के तहत पदयात्रा को जारी रखा।
ऎसे में कांग्रेस के ही कुछ चुनींदा लोगों सहित मुख्य प्रतिपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और भाजपा के टिकट के एक प्रबल दावेदार के समर्थकों की ओर से सुनियोजित तरीके से यह भ्रम फैला गया कि चूंकि उम्रदराज होने के कारण कांग्रेस शांति धारीवाल को इस बार टिकट नहीं दे रही है इसलिए वे इस सीट पर अपने पुत्र अमित धारीवाल को चुनाव लड़ाने के लिए आगे कर रहे हैं। साथ ही एक ऎजेंडा के तहत यह माहौल बनाने की कोशिश की गई कि अमित धारीवाल चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है, उनकी हार तय है।
जानबूझ कर गढ़े गए नकारात्मकता के इस माहौल में जब हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि कोई नेता चुनाव जीतने की स्थिति में है तो ऐसे नेताओं को भी टिकट दिया जाएगा जो भले ही उम्रदराज हो चुके हैं, लेकिन चुनाव जीतने में सक्षम है तो ऐसे दावेदार नेताओं की सूची में शांति धारीवाल का नाम अग्रिम पंक्ति में है क्योंकि कोटा में करवाए गए अपने अभूतपूर्व विकास कार्यो के कारण वे न केवल कोटा उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट के नैसर्गिक दावेदार हैं बल्कि चुनाव जीतने की संभावनाओं से लबरेज है।
कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व के आयु सीमा की पाबंदी को हटाए जाने के बाद बीते दिनों में शांति धारीवाल पूरे उत्साह के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र में लगातार दौरान न केवल वे अपने मतदाताओं से सीधा संवाद स्थापित किए हुए हैं बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अगले विधानसभा चुनावों के मद्धेनजर दिशा-निर्देश देने की दृष्टि से अपने ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान को पूरे उत्साह के साथ जारी रखे हुए हैं।
इसी दौर में कोटा में न केवल उनके ड्रीम प्रोजेक्ट चंबल रिवर फ्रंट का उद्घाटन किया गया बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश के लगभग सभी मंत्रियों एवं अन्य नेताओं की उपस्थिति में कोटा में अॉकसीजोन सिटी पार्क का उद्घाटन भव्य तरीके से समारोहपूर्वक किया गया जिससे शांति धारीवाल की छवि ओर अधिक सक्षम नेता के रूप में उभर कर सामने आई है। रहा सवाल दावेदारी का तो शांति धारीवाल की लोकप्रियता और सफलता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि पार्टी नेतृत्व की ओर गए हाल ही में नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में राज्य भर की विधानसभा सीटों पर जब कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों के नाम मांगे जा रहे थे तो कोटा उत्तर विधानसभा सीट से केवल एक नाम शांति धारीवाल का ही सामने रखा गया था। किसी और नेता-कार्यकर्ता ने इस सीट से अपनी दावेदारी नहीं जताई है ।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments