
अनुच्छेद 370 की समाप्ति और मौजूदा विधानसभा चुनाव के बीच जमीनी स्तर पर यहां कई बदलाव आए हैं। इसमें एक सबसे अहम बदलाव देश के अन्य भागों की तरह यहां के लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना शुरू होना है। इसमें अनुसचित जाति, पहाड़ी लोग व गुज्जर आदि कई जातियां अब आरक्षण के दायरे में आ गई हैं। इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से कई तरह से अलग भी हैं और खास भी हैं।
-दूसरे चरण का मतदान भी होगा आतंक पर चोट
-बदल रही है बयार
-द ओपिनियन-
कश्मीर में तीन चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए बुधवार 25 सितंबर कोे मतदान है। 18 सितंबर को हुआ प्रथम चरण का मतदान कह रहा है कि जब आगाज इतना अच्छा है तो अंजाम तो और भी अच्छा होगा। प्रथम चरण में हुआ 61 प्रतिशत से अधिकत मतदान यही उम्मीद जगाता है कि दूसरे चरण में भी अच्छा मतदान होगा। दूसरे चरण में 26 सीटों पर मतदान होगा। इस चरण में राजौरी, पुंछ, रियासी, गांदरबल, श्रीनगर और बडगाम जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। दूसरे चरण में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 239 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
दूसरे चरण का मतदान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें राजौरी और पुंछ जिलों के सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं। नियंत्रण रेखा (एलओसी) से निकट होने के कारण यहां मजबूत सुरक्षा उपाय की जरूरत होगी। सुरक्षा बल जम्मू क्षेत्र मेें हाल के दिनों में बढ़ी आतंकी गतिविधियों के कारण यहां कड़ी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है।
सोमवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुंछ के सुरनकोट और कश्मीर के सेंट्रल शाल्टेंग में रैली कर अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे। दूसरे चरण में पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला दो सीटों बडगाम और गांदरबल से चुनाव मैदान में हैं। इनके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा (सेंट्रल शाल्टेंग) व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना (नौशेरा) चुनाव मैदान में है। जबकि श्रीनगर जिले की चनपोरा सीट से जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रथम चरण का मतदान उन लोगों को करारा जवाब है जो कश्मीर में पिछले चुनावों मे हुए कम मतदान को लेकर अंगुली उठाते रहे हैं। कश्मीर में इस बार ये चुनाव इस केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। मुद्दे तो और भी बहुत हैं, लेकिन सबसे ऊपर यही है। एक गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ रही कांग्रेस और नेशनल काॅन्फ्रेंस भी इसे मुद्दा बना रही हैं। कांग्रेस ने जहां पूर्ण राज्य का दर्जा बहाली का वादा कर रही है, वहीं नेशनल काॅन्फ्रेंस स्वायत्तता की बहाली पर जोर दे रही है। लेकिन कांग्रेस इस पर मौन है। नेशनल काॅन्फ्रेंस के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस भाजपा के निशाने पर है। भाजपा ने सीधा आरोप लगाया है कि कांग्रेस देश के हितों के खिलाफ काम करने वाली ताकतों के साथ मिलकर काम रही हैं। पीएम मोदी ने गत दिनों अपनी रैली में भी कांग्रेस पर निशाना साधा।
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति और राज्य के पुनर्गठन के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही जम्मू कश्मीर का पुनगर्ठन करते हुए इसे दो केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बंट दिया गया था। उसके बाद ये चुनाव हो रहे हैं। लेकिन अनुच्छेद 370 की समाप्ति और मौजूदा विधानसभा चुनाव के बीच जमीनी स्तर पर यहां कई बदलाव आए हैं। इसमें एक सबसे अहम बदलाव देश के अन्य भागों की तरह यहां के लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना शुरू होना है। इसमें अनुसचित जाति, पहाड़ी लोग व गुज्जर आदि कई जातियां अब आरक्षण के दायरे में आ गई हैं। इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से कई तरह से अलग भी हैं और खास भी हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय सियासी ताकतें एक नए गठबंधन गुपकार के माध्यम से एक मंच पर आई थी लेकिन वे ज्यादा समय तक साथ साथ नहीं चल सकी और हाल में हुए लोकसभा चुनाव आते आते वे अलग हो चुकी थी। अब विधानसभा चुनाव नए सियासी गठबंधन उभरा है। कांग्रेस और नेशनल काॅन्फ्रेंस सियासी गठबंधन कर चुनाव मैदान में हैं जबकि पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी अपने बूते पर चुनाव मैदान में है। वहीं लोकसभा चुनाव में टेरर फडिंग के मामले में जेल में रहते हुए चुनाव जीतने वाले इंजीनियर शेख राशिद की पार्टी भी चुनाव मैदान में है। राशिद की पार्टी ने इन चुनावों को काफी दिलचस्प बना दिया है। लोकसभा चुनाव में राशिद ने नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अनंतनाग सीट पर पराजित कर सनसन फैला दी थी। राजनीतिक हल्कों में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इंजीनियर राशिद की पार्टी विधानसभा चुनाव में भी उतना ही शानदार प्रदर्शन दोहरा पाएगी और यदि वह कुछ सीटें जीतकर विधानसभा में पहुंचती है तो चुनाव बाद के परिदृश्य में क्या वह किंग मेकर की भूमिका में होंगी। यदि इस चुनाव में भाजपा या कांग्रेस नेशनल काॅन्फ्रेंस नीत गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो पीडीप और इंजीनियर राशिद की पार्टी कुछ सीटेें जीतकर विधानसभा में पहुंचती है तो फिर नई सरकार के गठन में इनकी या निर्दलीय उम्मीदवारों की अहम भूमिका होगी। लेकिन अभी चुनाव के दो चरण शेष है। इसलिए चुनाव नतीजों के बाद ही यह पता चल सकेगा कि कौन किस भूमिका में रहेगा। चुनावों के बाद शेख राशिद किस ओर जाएंगे, अभी यह कहना मुश्किल है।