सेवानिवृत बिजली कर्मचारियों के लिए पेंशन बनी टेंशन

penshan

कोटा। सी पी एफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद मीना ने बताया कि पेंशन विकल्प से वंचित 1988 से पूर्व के बिजली कर्मचारी तीन साल से,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब के समक्ष दया याचिका के जरिए पुनः पेंशन विकल्प खोलने की गुहार लगा रहे थे जिस पर मुख्यमंत्री गहलोत साहब ने परीक्षण कराकर,मानवीय दृष्टिकोण और सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से,बजट 2023 – 24 में पुनः पेंशन विकल्प खोलने की घोषणा कर दी। जिससे प्रभावित कार्मिकों और कार्मिकों की विधवा महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई और गहलोत का आभार प्रकट किया परंतु जब वित्त विभाग ने पेंशन विकल्प खोलने के आदेश जारी किए तो खुशियां मना रहे कर्मचारियों में मातम छा गया।

एक अन्य बयान में महा मंत्री अशोक कुमार जैन और मुख्य सलाहकार इकबाल हुसैन ने बताया कि अशोक गहलोत की मानवता पर वित्त विभाग ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया जब वित्त विभाग ने आदेश के जरिए कठोर शर्त रखते हुए, असहाय कर्मचारियों से 01ध्04ध्23 से पेंशन देने की शर्त पर, सेवानिवृति के समय से सरकार के अंसदान पर भारी भरकम 12ः प्रतिशत व्याज की मांग की जिसे पूरा करना इन कार्मिकों के लिए असंभव ही नहीं बल्कि ना मुमकिन है । जबकि समिति की मांग थी कि ष्सेवानिवृति के समय से सरकार के अंसदन और कर्मचारी की पेंशन की गणना की जाय। यदि कर्मचारी का ज्यादा बने तो सरकार भुगतान न करे। एक अप्रेल 22 से पेंशन दे दे वहीं यदि सरकार का ज्यादा बने तो कर्मचारी भुगतान करने को तैयार हैं परंतु वित्त विभाग बुजुर्ग कर्मचारियों, जो जीवन के लिए रोटी मांग रहे हैं उनसे भी कमाने की इच्छा रखता है जो अमानवीयता की पराकाष्ठा है। ज्ञातव्य रहे वित्त विभाग के अमानवीय और कठोर आदेश के कारण, पेंशन प्राप्त करना बुजुर्ग असहाय कर्मचारी की पहुंच से इतनी दूर हो गई है ऐसे में जननायक ही इनकी नैया पार लगा सकते हैं।
समिति ने मुख्यमंत्री से मानवीय दृष्टिकोण से सामाजिक सुरक्षा की से मांग की है कि वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में संशोधन कराकर कर्मचारियों से बिना व्याज के अंशदान लिया जावे तभी से पेंशन की गणना की जावे ताकि आपकी भावना के अनुसार अंतिम कर्मचारी पेंशन लेकर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ सके।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments