जम्मू कश्मीर व हरियाणा में अब दलबदल का दौर

-जननायक जनता पार्टी में बिखराव, साथ छोड़ गए चार विधायक

-द ओपिनियन डेस्क-

भारत में चुनावों की घोषणा के साथ ही दलबदल का दौर शुरू हो जाता है। राजनीतिक महत्वाकांक्षा में नेता अपनी पार्टी के साथ दशकों का साथ छोड़ कर दूसरी पार्टी का दामन थाम लेते हैं। कुछ नेता अपने प्रतिद्वंद्वी की हार निश्चित करने के लिए भी किसी और पार्टी में शामिल हो जाते हैं। साल दो साल बाद फिर लौट आते हैं। चुनावों की घोषणा के साथ हरियाणा और जम्मू कश्मीर में दलबदल की शुरुआत हो गई। हरियाणा में दुष्यंत चैटाला की जननायक जनता पार्टी के चार विधायक चुनावों की घोषणा के 24 घंटे के अंदर पार्टी छोड़कर चले गए। हालांकि वे किसी दूसरी पार्टी में अभी तक शामिल नहीं हुए हैं लेकिन उनके लिए भी कोई राजनीतिक ठौर तय है। कयास भाजपा में जाने के भी हैं। पिछली बार चुनाव के बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था तो दुष्यंत की पार्टी 10 विधायकों के साथ किंगमेकर बनकर उभरी। दुष्यंत उपमुख्यमंत्री बने। चार साढ़े चार साल तक सरकार के साथ सत्ता में रहे और बाद में राह अलग कर ली। अब एक साथ चार विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी सियासी खतरे में पड़ गई है। अब देखना है कि पार्टी का साथ छोड़कर गए विधायक किस पार्टी का दामन थामते हैं। पार्टी के जिन चार विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें देवेंद्र सिंह बबली, राम चरण, अनूप धानक और ईश्वर सिंह के नाम शामिल हैं। इनके अलावा तीन और विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलें हैं। यदि ऐसा हुआ तो पार्टी में फिर चैटाला परिवार ही रह जाएगा;
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कश्मीरः पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन ने छोड़ा आजाद का साथ
इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन ने शनिवार को गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही मोहिउद्दीन ने साफ कर दिया कि वह घर वापसी करेंगे। यानी कांग्रेस में शामिल होंगे। वह कांग्रेस के साथ चार दशकों से अधिक समय से जुड़े रहे थे । अब वापिस उसी में लौट रहे हैं। साथ ही वह यह भी कहते हैं कि मेरे कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में मुझसे ऐसा करने को कहा है। इसलिए मैं बहुत जल्द घर वापसी करूंगा। तो भाई, पहले दलबदल करते समय भी कार्यकर्ताओं से पूछ लेते कि दलबदल करूं या नहीं। अब कार्यकर्ता कैसे याद आए।
मोहिउद्दीन उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के उरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। उन्होंने अगस्त 2022 में आजाद के समर्थन में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह आजाद के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए थे।
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जुल्फिकार अली की शाह से मुलाकात, भाजपा में जाने की अटकलें
इसी तरह जम्मू कश्मीर के एक और नेता भी दलबदल की तैयारी में नजर आते हैं। ये हैं जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के उपाध्यक्ष चैधरी जुल्फिकार अली। जुल्फिकार अली ने शनिवार दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब कयास शुरू हो गए हैं कि वह जम्मू कश्मीर में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। पेशे से वकील अली ने 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में राजौरी जिले के दरहल विधानसभा क्षेत्र से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के टिकट पर जीत हासिल की वह 2015 से 2018 तक महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे । जून 2018 में भाजपा के सरकार से बाहर हो जाने के बाद गठबंधन सरकार गिर गई थी। इसके बाद कई पीडीपी नेताओं ने पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में 2020 में अपनी पार्टी की स्थापना की और अली इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। समझा जाता है कि अली ने दिल्ली में गृहमंत्री शाह से मुलाकात के दौरान विधानसभा चुनाव पर चर्चा की और भाजपा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव से पहले उनके भाजपा में शामिल होने से भाजपा को सियासी फायदा हो सकता है। भाजपा अपना आधार बढ़ाने में जुटी है।

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