भाजपाः सूरज ढलने से पहले ही रोशनी का प्रबंध!

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-देवेन्द्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

भारतीय जनता पार्टी हाडोती संभाग में कांग्रेस की अपेक्षा मजबूत क्यों है इस सवाल का जवाब बहुत आसान है। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार लगातार मेहनत कर सोशल इंजीनियरिंग के सहारे पहले जातिगत कार्यकर्ता बनाते हैं। उन्हें मजबूत करते हैं और फिर उन्हें पार्टी के भीतर पद देकर जनता के बीच भेजा जाता है। जब वह पार्टी के भीतर और जनता के भीतर मजबूत नेता के तौर पर उभरते हैं तब उन्हें पार्टी चुनावी मैदान में उतारती है। चुनावी मैदान में उतर कर भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता लगातार विधानसभा और लोकसभा का चुनाव जीतता रहता है। लोकसभा अध्यक्ष
ओम बिरला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह इसके बड़े उदाहरण हैं। ये सभी नेता लगातार विधानसभा और लोकसभा के चुनाव जीत रहे हैं। हाडोती संभाग में कांग्रेस के बड़े नेताओं में केवल शांति कुमार धारीवाल एकमात्र हैं जो लगातार दूसरी बार विधायक बने वे भी इससे पहले कभी लगातार चुनाव नहीं जीत पाए। भारतीय जनता पार्टी सूरज ढलने से पहले ही रोशनी का प्रबंध कर लेती है। इसका परिणाम यह होता है कि भारतीय जनता पार्टी के सामने अंधेरा होता ही नहीं है।
जैसे उम्र दराज होने पर भारतीय जनता पार्टी ने चतुर्भुज नागर और हेमराज मीणा की जगह हीरालाल नागर और हेमंत मीना को धाकड़ और मीना समुदाय बड़ा नेता बनाया। आज दोनों ही हीरालाल नागर और हेमंत मीणा विधायक हैं। हीरालाल नागर धाकड़ समाज के बड़े नेता हैं जो राज्य में बिजली मंत्री भी हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्व मंत्री अनंत कुमार जैन की मृत्यु के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जैन समाज को साधने के लिए उनके सुपुत्र अनिल जैन को राजनीति में उतारा। अनिल जैन विधायक भी बने मगर पार्टी के भीतर गुट बाजी के चलते सफल नहीं हो पाए। अब ओम बिरला ने जैन समाज को साधने के लिए राकेश जैन को सामने लेकर आए हैं। राकेश जैन कोटा शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष हैं। उनकी पकड़ समाज के अलावा अन्य समाजों में भी है। खासकर व्यापारी वर्ग में राकेश जैन की पकड़ मजबूत है और राकेश जैन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के भरोसेमंद कार्य करता भी है। राजस्थान भाजपा के अंदर जैन समाज का कोई बड़ा नेता नहीं था। मगर अब राकेश जैन के रूप में उसके पास यह विकल्प हो सकता है। राज्य में चल रहे उपचुनाव में राकेश जैन को पार्टी संगठन ने देवली उनियारा सीट पर भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी दी है। इस सीट पर जैन और बनिया समाज के मतदाताओं की अच्छी संख्या है। टोंक जिले में जैन समुदाय के भाजपा नेता प्रभावशाली भी रहे हैं। ऐसे में उनियारा विधानसभा सीट की जिम्मेदारी राकेश जैन को सौंपने के पीछे बड़ा मकसद यही है कि इस सीट को भाजपा जीते।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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