सपनों का नोटिफिकेशन

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-दिनेश नागर-

dinesh nagar
दिनेश नागर

आज सुबह
जब नींद की रेशमी परतें
धीमे-धीमे उतरने लगीं,
सपनों के नील आकाश में
एक चमकता नोटिफिकेशन
आपके नाम से झिलमिला उठा।

मन ही मन हल्की मुस्कान आई –
कितने मौसम बीत गए,
आपकी टाइपिंग के
वो तीन धड़कते डॉट्स देखे हुए…

तो क्यों न,
यादों की वह पुरानी चैट
फिर से खोली जाए,
और दिल की इनबॉक्स में
आपको एक बार फिर
प्यार से
टॉप पर पिन कर दिया जाए।

दिनेश नागर, अतिथि सहायक आचार्य हिन्दी, राजकीय महाविद्यालय, सरवाड़ (अजमेर)

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Yasmeen banu
Yasmeen banu
2 months ago

आज की इस व्यस्त दुनिया में किसी अपने को याद करना और उनसे बात करने की बेसब्री झलक रही है…😊

प्रदीप
प्रदीप
2 months ago

“सपनों का नोटिफिकेशन” आधुनिक संवेदना से युक्त बहुत सुंदर कविता है।

Sushila
Sushila
2 months ago

आधुनिक भावों से युक्त कविता है। यहाँ डिजिटल युग प्रतिकों – नोटिफिकेशन, टाइपिंग टॉट्स, चैट, इनबॉक्स, पिन – को प्यार और यादों के साथ बहुत ही कोमलता से जोड़ा गया है।

दिनेश
दिनेश
Reply to  Sushila
2 months ago

बिल्कुल सही कहा आपने….आज की जिन्दगी की कहानी है।

श्रीराम
श्रीराम
2 months ago

“सपनों का नोटिफिकेशन” कविता में मानवीय संवेदना को मशीनीकरण शब्दकोश के माध्यम से बहुत ही अद्भुत तरीक़े से पिरोया गया है……. 🙏🙏🙏👏👏👏