
-ए एच जैदी-

राजस्थान की चम्बल नदी में ऊदबिलाव में मौजूद स्मूथ कोटेड ओटर को देखने ओर फोटोग्राफी के लिए दूर दूर से पर्यटक आते हैं। पूर्व में कोटा में ऊदबिलाव अप स्ट्रीम चम्बल नदी में दिखाई देते थे। लेकिन पिछले वर्ष से डाउन स्टीम में भी दिखाई दे रहे हैं।
बोट संचालक विकास मीणा पर्यटकों को इनके बारे में बताता है। वह इन ऊदबिलाव पर नजर रखते हैं। यह बहुत कम संख्या में पाया जाने वाला जलीय जीव हे।
नेचर प्रमोटर ए एच जैदी बताते हैं कि मैने 1997 में पहली बार गांधी सागर में ऊदबिलाव देखे थे। उसके बाद जवाहर सागर और भवरकुंज के पास ये फैमिली कोटा बराज पार कर जामुनिया पहुंच गई है। पत्थरों की कराई या टापू इन्हें पसंद हैं। राणा प्रताप सागर में भी ऐसी ही जगह पर रहते हैं। सबसे अधिक पर्यटक रावतभाटा में इनकी फोटो ग्राफी करने आते हैं। कोटा के बाद ये पालीघाट सवाई माधोपुर में दिखते हैं।
जैदी का कहना है कि लगभग 65 वर्ष पूर्व कुन्हाड़ी की चम्बल नदी की कराईयों में इनका बसेरा था। लेकिन बारिश में बहुत तेज बाढ़ आने से यहां चले गए। जामुनिया टापू पर पूर्व में चम्बल घड़ियाल अभ्यारण में अब रामगढ़ टाइगर सेंचुरी में
कोटा में दीगोद के बालापुरा और बूंदी के केशवराय पाटन के नोताडा में ऊदबिलाव देखे जा सकते हैं।