
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा। राजस्थान के तीसरे प्रमुख शहर कोटा की एक समय पहचान यहां के कलात्मक और ऐतिहासिक दरवाजों की वजह से भी रही। कोटा के बाहर के लोग यहां आने के बाद यह कयास लगाते थे कि यहां के परकोटे की वजह से ही शहर का नाम कोटा पडा है। इन कलात्मक दरवाजों को अलग अलग नाम दिए गए। जैसे किशोरपुरा दरवाजा, पाटनपोल दरवाजा, लाडपुरा और सूरजपोल दरवाजा।

पहले औद्योगिक और वर्तमान में कोचिंग सिटी के तौर पर देश दुनिया में चर्चा के बावजूद जयपुर, जोधपुर, उदयपुर अथवा अजमेर की तरह पर्यटन के क्षेत्र में वह स्थान नहीं बना सका जबकि यहां पर्यटकों के आकर्षण के लिहाज से सह सब कुछ है जो अन्य शहरों में नहीं है। चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा शहर अपनी विशिष्ट शैली के चित्रों, महलों, संग्रहालयों और पूजा स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर सोने के आभूषणों, डोरिया साड़ियों, रेशमी साड़ियों और प्रसिद्ध कोटा पत्थर के लिए जाना जाता है।

कोटा शहर अपनी वास्तुकला की भव्यता के लिए जाना जाता है। स्मार्ट सिटी के तहत कोटा को पर्यटन सिटी के तौर पर विकसित करने के लिए कोटा के भव्य दरवाजों को पुनः निखारने के प्रयास किए गए हैं। सूरजपोल दरवाजे का तो कायाकल्प हो चुका है। इसी कडी में ऐतिहासिक पाटनपोल दरवाजे को भी भव्य रुप दिया गया है। न केवल लकडी से बने विशाल द्वार को दुरुस्त करने साथ रंग रोगन कर पुराना स्वरुप प्रदान किया है बल्कि यहां की दीवारों की चित्रकारी को भी पुर्नजीवित किया है। इससे यह दरवाजा आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

वैसे भी कोटा में पाटनपोल का विशेष स्थान है क्योंकि यहां भगवान मथुराधीश जी का मंदिर विद्यमान है। भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। जन्माष्टमी, नंद महोत्सव, अन्नकूट और होली के त्योहार यहां बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। वैष्णव संप्रदाय से संबंधित श्रद्धालु यहां देश विदेश से वर्ष पर्यन्त आते हैं। पाटनपोल दरवाजा के पुनरुद्धार के बाद यहां सीसी रोड का काम भी हो रहा है इससे पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए यह स्थल और भी सुविधाजनक तथा आकर्षक हो जाएगा।
कलात्मक चित्रकारी से पाटनप़ोल दरवाजे का प्राचीन वैभव चमकने लगा लेकिन दरवाजे से होकर ब थी गंदी नाली ंंऔर पास में पसरा कचरा सुंदरता में कोढ़ प्रतीत हो रहा है. सौंदर्यीकरण के साथ साथ दरवाजे के आसपास समुचित सफाई भी होनी चाहिए वर्ना चित्रकार की तूलिका से उकेरे गए कलात्मक चित्र अर्थहीन हो जायेंगे.