-राजेश खण्डेलवाल-

(स्वतंत्र पत्रकार)
भरतपुर। अगर मन में कोई संकल्प लिया जाए तो कार्यसिद्धि संभव है। लेकिन जब संकल्प को दोस्तों का साथ मिल जाए तो यह और सुदृढ़ हो जाता है और कार्यसिद्धि होती ही है।
ऐसा ही जज्बा दिखाया है अलवर के उन मित्रों की जोड़ी ने, जो सिविल सेवा की तैयारी में साथ थे। अलवर से करीब 12 किलोमीटर दूर दलालपुर गांव का राजकीय प्राइमरी स्कूल मित्रों के संकल्प की जीती-जागती मिसाल है। मित्रों ने ना केवल स्कूल का आर्थिक सहयोग किया, बल्कि अपना अमूल्य समय देकर खुद ही बारी-बारी से मॉनिटरिंग भी की। नतीजन यह सरकारी स्कूल अब किसी निजी स्कूल से कम नजर नहीं आता। यहां बच्चों और स्टाफ के लिए वे तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो किसी निजी स्कूल में भी नहीं होती।

दलालपुर स्कूल में ये हुए काम
स्कूल में दो चरणों में मित्र मंडली ने नव निर्माण और रिनोवेशन करवाया है। स्कूल में जहां पहले कमरों पर छत के रूप में टिनशेड था, वहां अब सभी कक्षों पर पक्की छत है। कच्चे चौक और टूटे-फूटे सीमेंटेड फर्श पर अब चमचमाती टाइलें लगी हैं। बच्चों व संस्था स्टाफ को कक्षा-कक्ष और प्रार्थना स्थल पर धूल नहीं फांकनी पड़ती। स्कूल की रसोई अब आधुनिक हो चुकी है। रसोई को रसोई के साथ आंगनबाडी का रूप दिया है, जिसमें बच्चों को आकर्षित करती चित्रकारी कराई गई है। नीचे और बरिश में टपकते कक्षा-कक्षों व संस्था प्रधान के कार्यालय को उंचा उठाकर पूरी तरह रिनोवेट कर दिया है।
पहले जहां छत व दीवारों का प्लास्टर झड़ता था, उन्हीं कमरों की दीवारें और छत उम्दा रंग-रोगन से आकर्षित लगती हैं। बाउंड्रीवॉल उंची कराई गई है और सीढिय़ां भी बनवाई हैं ताकि छत की साफ-सफाई भी हो सके। स्कूल में बच्चों व स्टाफ को पेयजल की सुविधा के लिए 12 बाई 5 का पक्का वाटर टैंक बनवाकर वाटर फिल्टर भी लगवाया है। दिव्यांगों के लिए रेंप निर्माण भी कराया है। कक्षा-कक्षों व कार्यालय के गेट व जंगले भी टूट चुके थे, जिनकी जगह नए गेट व जंगले लगवाए हैं। सब से अच्छी बात यह रही कि इस संपूर्ण कार्य में एक भी पेड़ को नहीं काटा गया। पेड़ों तले बच्चों के लिए शाला परिसर में झूले लगाए हैं ताकि मां सरस्वती के मंदिर में शिक्षा की जोत से रोशन होने के साथ बचपन खिलखिलाता भी रहे।

काम कराना ऐसे हुए संभव
राजकीय प्राथमिक स्कूल दलालपुर में यह चमत्कार आसान नहीं था। वर्ष 2021 में संस्था प्रधान विमल जैन के आग्रह पर भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और लक्ष्मणगढ तहसील के हरसाणा निवासी डॉ धीरज जैन ने स्कूल का विजिट किया। स्कूल के हालात, बच्चों व स्टाफ की समस्या देख संस्था प्रधान विमल जैन से बातचीत की। स्कूल की जरूरतें पूछी और एस्टीमेट बनाकर देने के लिए कहा। प्रधानाचार्य विमल जैन ने नवनिर्माण, रिनोवेशन और जरूरी साधनों की मांग दर्शाते हुए एस्टीमेट बनाकर दे दिया। अब बात आई पैसा कहां से आए। इस पर आईआरएस डॉ धीरज जैन ने मित्र मंडली के समक्ष आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी मित्रों ने स्वीकृति दे दी। इस पर आरएएस अधिकारी डीएसओ जितेन्द्र सिंह नरूका, आरएएस अधिकारी हरिओम मीणा, आरएएस अधिकारी दिनेश शर्मा, स्वतंत्र विजय, राजा वैराष्ठक, संघर्ष, भूपेन्द्र सिंह चौहान, अनुराग जैन, नीतेश सोनी, अंशुमन वशिष्ठ, संजीव यादव, सत्येन्द्र यादव आदि ने आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई और देखते-देखते दोस्तों के संकल्प ने एक साल के लगातार परिश्रम के बाद स्कूल की सूरत बदल दी।

















