पर्यावरणविद् जाजू का दावा चंबल नदी में गिर रहे हैं 17 गंदे नालों का पानी

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-ईटीपी में जल शोधन भी भुलावा

कोटा। पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू ने दावा किया है कि उन्होंने चंबल नदी में बोट से मुआयना कर डेढ दर्जन गंदें पानी के नालों के इस नदी में गिरने के साक्ष्य जुटाए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कोटा में प्रदूषित जल को शुद्ध करने के लिए लगाए आठ ईटीपी प्लांट केवल भुलावा हैं। केवल एक प्लांट कार्यरत है। वह भी पूरी क्षमता से जल शुद्ध नहीं कर पा रहा है।

जाजू ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ भोपाल में चंबल नदी में प्रदूषण पर दायर याचिका संख्या 189/2023 का हवाला देते हुए बताया कि कोटा शहर की गंदगी और घरेलू-औद्योगिक नालों का मल-मूत्र युक्त प्रदूषित जल बिना किसी शोधन के सीधे चंबल नदी में गिर रहा है, जिससे नदी की पारिस्थितिकी, जलजीवों विशेषकर घड़ियालों के अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।

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जाजू ने गुरूवार को गोदावरी धाम पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह याचिका अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के माध्यम से दायर की गई है। नगर निगम कोटा द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में दिए गए जवाब में केवल एक नाले के चंबल में गिरने की जानकारी दी गई, जबकि वास्तविक स्थिति इससे कहीं अधिक भयावह है।

जाजू ने बताया कि वह स्वयं कोटा जाकर पैदल और स्ट्रीम मोटर बोट की सहायता से स्थलीय निरीक्षण पर निकले। उन्होंने चंबल नदी के घाटों, पुलों और बैराज क्षेत्रों का दौरा कर कुल 17 स्थानों की पहचान की, जहाँ गंदे नाले बिना किसी जल शोधन के चंबल नदी में गिरते पाए गए। उन्होंने इन सभी बिंदुओं पर जीओटैग्ड फोटो और वीडियो के रूप में प्रमाण संकलित किए हैं, जो एनजीटी में याचिका के समर्थन में प्रस्तुत किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा दावा किया गया है कि आठ स्थानों पर ईटीपी (इंफ्लयूमेट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाकर चंबल के जल को शुद्ध किया जा रहा है, जबकि यह पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन है। सभी चिन्हित स्थानों पर बिना शोधन के गंदा पानी नदी में जा रहा है। जाजू के साथ चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय, विट्ठल सनाढ्य को शिवपुरा-बासी क्षेत्र, आधारशिला इलाका, राजस्थान आर्म्ड कॉस्टिक लिमिटेड के पास, अमर निवास पैलेस क्षेत्र, सादीजादा क्षेत्र, रामपुरा, लाडपुरा का नाला ,रिवर फ्रंट में गंदगी व सीवर का उफान तथा (डाउनस्ट्रीम, पूर्व दिशा), नयापुरा छोटी चंबल पुलिया के पास, कुन्हाड़ी रिवर फ्रंट श्मशान घाट के पास, माताजी के मंदिर के पास (रिवर फ्रंट क्षेत्र), सकतपुरा क्षेत्र (बैराज के पास), दोस्तपुरा क्षेत्र, नयापुरा हरिजन बस्ती, खंडबावड़ी क्षेत्र, खेड़ली पाटक (संजय नगर क्षेत्र), रंगपुर क्षेत्र, केशवरायपाटन रोड क्षेत्र और सुभाष नगर (पुलिस लाइन के पास) 17 स्थानों पर गंदे नाले चंबल में गिरते पाए गए। जाजू ने कहा कि चंबल भारत की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी है और यदि इन गंदे नालों को शीघ्र नहीं रोका गया, तो यह अनूठी जैव विविधता हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम द्वारा न्यायालय में झूठे तथ्य पेश किए हैं।

नदी को प्रदूषण मुक्त करें सरकार -हेमा सरस्वती
डाक्टर हेमा सरस्वती ने कहा कि चम्बल में प्रदूषण से आने वाले समय में संकट खड़ा हो जाएगा। सरकार को चाहिए कि नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने में मददगार बनें। नदी खुद बीमार रहेगी तो जनता कैसे स्वस्थ होगी। उन्होंने कहा कि अनंत चतुर्दशी पर पीओपी की प्रतिमाओं को नदी व जलाशयों में प्रवाहित न किया जाए। प्रशासन ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें।

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