
बारां। शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के तहत जनजागृति अभियान के तहत मोटिवेशन टीम ने शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र में आने वाले उन सभी गांवों में घूम घूम कर लोगों से सम्पर्क करने का काम जोरदार तरीके शुरू कर दिया है जो ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लगाए जाने वाले हाइड्रो पावर प्लांट से होने वाले नुकसानों की परिधि में आ रहे हैं।
शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन मोटिवेशन टीम ने इस यात्रा के दौरान राजपुर से सटे हुए गांवों में ग्रामीणों से सहयोग जुटाने में सफलता हासिल कर अपने आन्दोलन के बारे में बताया।
सोशियल मीडिया टीम प्रभारी नीता शर्मा ने बताया कि ” शाहबाद जंगल से जुड़ी आबादी को जागरूक कर हाइड्रो पावर प्लांट हेतु काटे जाने वाले लाखों पेड़ों को बचाने का संकल्प लिया गया है जिसके चलते राजपुर ग्राम में लोगों को इकट्ठा किया गया और उन्हें इस बात से आगाह किया गया कि यदि जंगल नहीं बचेंगे तो एक ओर जहां देश ,राजस्थान ,बारां , शाहबाद की कृषि उपज, वर्षा जल प्रतिशत, वन्य जीव आवास, जलवायु परिवर्तन,और वन्य जीव आवास प्रभावित होगा वहीं दूसरी ओर सैकड़ों तरह के औषधीय गुणवत्ता वाले पेड़ों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।”
राजपुर ग्राम के युवाओ को संबोधित करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए संघर्ष कर रहे युवा शशिभूषण मौर्य ने कहा कि” जंगल हमारे माता पिता हैं जो सदियों से हमारी पीढ़ियों को पालते चले आ रहे हैं। हमारी न जाने कितने पीढ़ियों के लोगों ने इन पेड़ों और इनसे प्राप्त होने वाली जड़ी बूटियों के व्यापार से अपने परिवार का पालन पोषण कर हम सब को बढ़ा किया ।यदि 407.8277 हेक्टेयर वनभूमि पर लगा हुआ ये जंगल और इसके पेड़ कट गए तो हजारों परिवारों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।”
ग्रामीणों ने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि” इस जंगल को बचाने के लिए हम और आप सभी मिलकर संघर्ष करेंगे ,पूरा राजपुर ग्राम आपके साथ मिलकर खड़ा होगा मगर यह जंगल नहीं कटने देंगे और शाहबाद की सुरम्य घाटियों से पैदा होने वाले रोजगार को कायम रखा जाएगा।
टीम ने राजपुर गांव के बाद हनुवंत खेड़ा, शाहपुरा और अन्य गांवों में ग्रामीणों से सम्पर्क कर उन्हें जानकारियां दी।
टीम सदस्य डॉ मनोज कुमार ने बताया कि “शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के इस अभियान के तहत हाइड्रो पावर प्लांट से प्रभावित लोगों से अनुरोध कर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें लोग तन मन धन से सहयोग कर रहे हैं।”
शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक प्रशांत पाटनी कुन्जेड ने बताया कि ” हाइकोर्ट जोधपुर द्वारा अपने स्तर पर स्व विवेक से संज्ञान लिया गया है फिर भी कम्पनी के अधिकारी और कर्मचारी अपनी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं।जब तक ये जंगल नहीं बचेंगे तब तक इस अभियान को जारी रखा जाएगा।