
बारां। शाहबाद की अवसादी और आग्नेय चट्टानों पर लाखों वर्षों बाद कुदरती रूप से निर्मित सघन घाटियों के रूप में विकसित लाखों पेड़ों को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को साधु संतों के सहयोग की श्रृंखला में अब कोटा गोदावरी धाम के महंत शैलेन्द्र भार्गव ने भी मोर्चा खोल दिया है।
गोदावरी धाम के मुख्य महंत शैलेन्द्र भार्गव ने कहा कि शाहबाद के जंगल ऐसे जंगल हैं जहां पर ऐसे औषधीय गुणों वाले पेड़ पाए जाते हैं जो हिमालय पर्वत पर भी नहीं मिलेंगे। ये हमारा दुर्भाग्य है कि केवल एक पावर प्लांट के लिए लाखों पेड़ों को काटा जा रहा है । यदि पेड़ ही नहीं होंगे तो ऑक्सीजन कहां से मिलेगी, ऑक्सीजन नहीं होगी तो मनुष्य जीवन जीने का माध्यम ही समाप्त हो जाएगा।
शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक बृजेश विजयवर्गीय और पर्यावरण विद राजेन्द्र कुमार जैन को अपना सम्पूर्ण समर्थन देने का विश्वास दिलाते हुए उन्होंने कहा कि जंगल और प्रकृति हमारा जीवन है जिसमें आप और हम जीवन जीते हैं। ये जंगल केवल शाहबाद ही नहीं बल्कि पूरे देश वासियों की धरोहर है इसकी कटाई को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए आपको जिस भी प्रकार के साथ की जरूरत होगी वह गोदावरी धाम और उसके श्रृद्धालुओं से मिलेगा।हम सरकार से भी अपनी मांग करते हैं कि इस पॉवर प्लांट को किसी अन्य ऐसी जगह पर लगाया जाए जहां पेड़ भी नहीं कटे और प्लांट भी लग जाए।ष्
ज्ञातव्य है कि शाहबाद के जंगल में हाइड्रो पावर प्लांट लगाने हेतु ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के लिए सरकार द्वारा लाखों पेड़ों को काटा जाएगा जिसके विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पर्यावरण विद और पर्यावरण प्रेमी सदस्यों ने अपना विरोध जताया है । इस आंदोलन को व्यापक जन समर्थन के साथ साथ साधु संतों समेत अन्य सभी लोगों द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है जिसमें आचार्य मुनि प्रज्ञा सागर जी, महाराज प्रिया शरण दास जी,आचार्य संदीप शास्त्री जी, के बाद अब महंत शैलेन्द्र भार्गव भी शामिल हो गए हैं।

















