जीवंत तस्वीरों का चितेरा—गोपेश दाधीच

-अख्तर खान अकेला-

जीवंत तस्वीर, पोर्ट्रेट कीर्तिकार गोपेश दाधीच की पेंसिल, ब्रुश, रंगों में वोह हरकत है के वोह हर तस्वीर , हर पोर्ट्रेट को जीवंत कर देते है, स्टेट टाइम के चित्रकार लुक़मान सर फेमिली भी उनकी इस कला की प्रशंसक है, हाल ही में हाड़ौती चित्रकला प्रदर्शन कहो, प्रशिक्षण कहो, कार्यशाला कहो उसमें गोपेश दाधीच की चित्रकला अव्वलीन चर्चा में रही, प्राकृतिक छटा, सौंदर्य, नदी, नाले ओर उसमें , चहल क़दमी करते वन्य जीव किस तरह से नदी नालों पर छलांग लगाते है, अटखेलियां खेलते हैं, इनकी जीवंत तस्वीरें परफेक्ट बनाना थी , ओर गोपेश दाधीच इस कलाकारी, इस चित्रकारी की मन्ज़रकशी में अव्वलीन हो गए, कोटा के विख्यात अतुकांत कवि, मोटर यान दुर्घटना मामलों के विशेषज्ञ वकील, बेस्ट स्काउट बढ़े भाई परमेश्वर दाधीच के सुपुत्र गोपेश दाधीच ह्रदय से कलाकार हैं, वोह बहतरीन इंसान, संस्कारवान पुत्र भी हैं, बचपन से चित्रकला के शौक़ीन गोपेश दाधीच हज़ारों पोर्ट्रेट, कलाकृतियां तय्यार कर चुके है जो तस्वीरें मुंह से बोलती है, अभी हाल ही में वरिष्ठ वकील सुरेन्द्र शर्मा ऐडवोकेट की 75 वीं वर्षगांठ पर गोपेश ने देखते ही देखते उनका पोर्ट्रेट तय्यार किया और भेंट कर दिया.

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कहते है एक कलाकार का मन ,, इधर उधर ,,बिखरे मुद्दों को ,,,बेबाकी से उजागर करने के लिए,,, आतुर होता है ,,,एक लेखक इन समस्याओ को ,,अल्फ़ाज़ों में पिरोता है ,,लेकिन ,,,एक कलाकार ,,अपने दिल के जज़्बातो को,,,, जब ,,पूरी निष्ठा के साथ ,,कागज़ के कलेजे पर ,,,उकेरता है ,,तो लोग ,,उसकी जीवन्त कलाकृति ,,उसके सन्देश को देखकर,,, कभी आह ,,कभी वाह,,, करते है ,,ऐसे कलाकारों की एक तस्वीर में,,, पूरी दुनिया का दर्द ,,,छुपा होता है ,,,,जी हाँ दोस्तों,,, कोटा के यह युवा कलाकार ,,चित्रकार ,,भाई गोपेश दाधीच ,,की चित्रकारी में,,, यही सब सन्देश छुपे है ,,,गोपेश दाधीच ,यूँ तो ,,,वरिष्ठ वकील,,, एम ऐ सी टी मामलात के सर्जन ,,,,चिकित्सक कहे जाने वाले ,,,परमेश्वर दाधीच के सुपुत्र है ,,खुद परमेश्वर दाधीच ,बहुमुखी प्रतिभा के धनी ,,अतुकांत कवि ,,,तात्कालिक हालातो को ,,,काव्य कला में बाँध कर ,,एक सन्देश के साथ ,,,,हंसी हंसी में ,,,अपनी बात कहने में माहिर है ,,कुछ इसी तरह की,,, वंशानुक्रम कला ,उनके पुत्र गोपेश दाधीच ने,,,, हासिल की है ,,उनकी चित्रकारी में ,,समाज का दर्पण ,,समाज को बुराइयो से बचाने वाला सन्देश है ,,,और इसीलिए ,,, गोपेश दाधीच,,, इनकी छोटी उम्र के कलाकारों में,,, सर्वोपरि हो गए है ,,पिछले दिनों ,,बेटी बचाओ को लेकर ,,दाधीच समाज की तरफ से ,,इनकी अनूठी चित्रकारी का पोस्टर,,, प्रदर्शन हुआ ,,जिसमे एक पिता के कोमल हाथो में,,,, बेटी के चरणों को सुरक्षित रखकर ,,बेटी बचाओ का सन्देश अदभुत तरीके से दिया गया है ,,,,गोपेश के पिता ,,,परमेश्वर दाधीच बताते है ,,,के पिछले दिनों ,,,भारतीय डाक टिकिट के लिए,,, कुछ सन्देश मांगे गए थे ,,गोपेश ने राजस्थान डाक तार विभाग को ,,बाल मज़दूरी पर ,,,एक सन्देश दिया ,,इस सन्देश की प्रेरणा,,, गोपेश ने ,,एरोड्रम सर्किल पर ,,कार्यरत गड़रिया लुहारों की,,, महिलाओं से ली ,,एक गर्भवती महिला,, जिसके गर्भ में,, सात माह का बच्चा है ,,वोह महिला,,, अपनी पीठ पर ,,एक डेढ़ साल के बच्चे को बाँध कर ,,लोहे को कूटने के लिए ,,हथौड़ा चला रही है ,,बस,,, इसी चित्र को ,,गोपेश दाधीच ने,,,, मार्मिक अंदाज़ में कागज़ के ,,कलेजे पर,,, एक जीवन्त भाव के साथ,,, उकेर दिया ,,बाल मज़दूरी का एक ऐतिहासिक ,,,अदभुत सन्देश देखकर ,,राजस्थान डाक तार विभाग चकित था ,,और इस सन्देश को सर्वश्रेष्ठ मानकर ,,, गोपेश दाधीच को,,, पुरस्कृत किया गया ,,गोपेश ने,,, इस चित्र के माध्यम से बताया है ,,,के बालश्रम पैदा होकर नाबालिग उम्र से नहीं ,,,बल्कि जन्म के पहले,,, गर्भ में और पैदा होते ही,,,, तुरन्त बाद ,,इस रूप में शुरू हो जाता है ,,एक मार्मिक सन्देश,, जो दिल को छूने वाला है ,,सच,, बालश्रम के लिए आँखे खोल देने वाला है ,,,,गोपेश दाधीच,,, युवा चित्रकारों में सर्वोत्तम है ,,इनके कार्टून ,,इनके चित्र,,, गागर में सागर,, भर देने वाले सन्देश देने वाले है ,,हम गोपेश दाधीच की चित्रकारी ,,इनकी कलाकारी के और चार चाँद लगे ,,यह विश्व विख्यात चित्रकार ,,कलाकर बने ,खुदा से ऐसी दुआ करते है ,,,,

अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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