“बाबा तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन”

कोटा. राजकीय कला महाविद्यालय कोटा के हिंदी विभाग में ” कलम के सिपाही” और ” उपन्यास सम्राट” की उपाधि से विभूषित सदी के महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद और मध्यकालीन समन्वयकारी संत बाबा तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. विवेक शंकर ने की और गोष्ठी का संचालन प्रो.विवेक कुमार मिश्र ने किया। गोष्ठी का प्रारंभ करते हुए प्रो. रामावतार मेघवाल ने कहा कि प्रेमचंद एक युग पुरुष थे। उनके कालजयी उपन्यास युगों तक वैश्विक मानवता की धरोहर बनकर रहेंगे। इसी श्रृंखला में प्रोफेसर आदित्य कुमार गुप्त ने बाबा तुलसीदास की समन्वयता पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि वैसे तो तुलसीदास जी की ख्याति ” रामचरित मानस” जैसे ग्रंथ से ही अमिट है लेकिन भक्त कवि होने के साथ-साथ वे एक उत्कृष्ट कोटि के भविष्यदृष्टा कवि भी थे। इस अवसर पर चित्रकला विभाग के सहायक आचार्य डॉ. रमेश चंद मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रेमचंद और बाबा तुलसीदास दोनों ही अपने-अपने युग का यथार्थ प्रस्तुत करते हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संचालक प्रो. विवेक कुमार मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद मनुष्य की चेतना को जागृत करने वाले कथाकार हैं। आज भी मानव मन को समझने के लिए प्रेमचंद की कहानियों से बढ़कर और कुछ नहीं है। उनके पात्र हमारे आसपास जीवित रूप में घूमते हैं। प्रोफेसर विवेक शंकर ने कहा कि प्रेमचंद सबसे बड़े मनोवैज्ञानिक कथाकार हैं। मानव मन और आत्मा का जितनी गहराई से अंकन उन्होंने किया है वह कहीं और नहीं मिलेगा। प्रोफेसर संजय लक्की ने कहा कि तुलसीदास और प्रेमचंद दोनों ही हिंदी के लिजेंड साहित्यकार हैं। गोष्ठी के अंतिम सोपान पर हिंदी विभाग की सहायक आचार्य गीता मीना ने अपने विचार प्रकट करने के उपरांत सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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