देखते रह गये

b6053026 20cd 427a 99fd bdb21c419db8
फोटो साभार अखिलेश कुमार
 नज़्म

-शकूर अनवर-

shakoor anwar new
शकूर अनवर

*
अब नहीं चाहिये
अब नहीं चाहिये
ऐ ख़ुदा
इतनी बारिश नहीं चाहिये
ये बहुत हो चुका
आसमानों की साज़िश नहीं चाहिये
ऐ ख़ुदा
इतनी बारिश नहीं चाहिये
हुक्म दे बादलों को
घटाओं का रस्ता बदल
इन हवाओं का रुख मोड़ दे
सब कुएं सारे तालाब
जलथल हुए
जंगलों में तनावर दरख़्तों* ने
अपनी जड़ें छोड़ दीं
बर्फ़ की देव पैकर” चटाने
खिसकने लगीं
सारी नदियां उफनती हुईं
बस्तियों की तरफ़ मुड़ गईं
घर का असबाब* छप्पर
रसोई का सामान बर्तन मवेशी
सभी बह गये
सारे कच्चे मकाॅं ढह गये
आसमानी बालाओं ने बेबस किया
कुछ नहीं कर सके
अपनी ऑंखों से अपनी तबाही को हम
देखते रह गये
ऐ ख़ुदा
इतनी बारिश नहीं चाहिये
ये बहुत हो चुका
आसमानों की साज़िश नहीं चाहिये
*
शब्दार्थ:-
तनावर दरख्त*मजबूत पेड़
देव पैकर*भारी भरकम
असबाब*ज़रूरत का सामान
साज़िश*षडयंत्र
शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments