मन के मते न चालिए …

जीवन में गतिशीलता और आगे बढ़ने के लिए सहज, सरलमना लोगों का साथ होना अत्यंत जरुरी है। जैसे निर्मल स्वच्छ जलधारा लहराती बलखाती कल कल नाद के साथ निर्बाध गति से आगे बढती रहती है। उसके बहाव के साथ रास्ते का कूड़ा कचरा भी साथ साथ चलते हुए कुछ समय बाद एक तरफ झाड़ झकाड़ों में उलझ कर रह जाता है और जलधारा जो स्वच्छ और निर्मल है आगे गतिमान रहती ।

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डॉ अनिता वर्मा

anita verma
डॉ अनिता वर्मा

कहा गया है ‘मन के मते न चालिए, मन के मते अनेक’ पर हम कहाँ नियंत्रित हो पाते है सुबह से लेकर सोने तक मन के अनुसार हमारी दिनचर्या निर्धारित होती रहती। मन अच्छा हुआ तो खुश, मन ख़राब हुआ तो उदास यही है मन ,उसे समझना अत्यंत जटिल कार्य होता है और यदि मन में कुछ विचलन हो तो पूरा दिन बर्बाद हो जाता उसका नकारात्मक असर हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को प्रभवित करते है। कुछ लोग बैठे ही इसी फ़िराक में हैं कही कुछ हो… कैसे आनंद लिया जाये .. कैसे किसी की शांति भंग की जाये ये खुश क्यों है…हम सब किसी न किसी रूप में इन स्थितियों का सामना करते हैं। प्रभावित होते है। आखिर हम सब मनुष्य ही तो हैं ये आनंद लेने वाले अपनी समस्त ताकत संचित ऊर्जा नकारात्मक वातावरण तैयार करने में लगे होते है। नकारात्मकता समस्त परिवेश को बदल देती है। उदाहरणार्थ उग्रता, व्यग्रता, गुस्सा ,आक्रोश जो एक ही सिक्के के दो पहलू है न चाहते हुए भी अभिव्यक्त हो उठते हैं ;परंतु बात यही ख़त्म नहीं हो जाती यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक होती है इसका परिणाम कई बार मानसिक अवसाद की स्थिति ले आता है अर्थात कर्मशील अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित ईमानदार व्यक्ति को उसके कर्तव्यबोध ,कर्मशीलता से भटकाने की पुरजोर कोशिश रहती है। यह प्रत्यक्ष भी हो सकती है कभी अप्रत्यक्ष भी होती है प्रत्यक्ष रूप से तो व्यक्ति अपने प्रति किये गलत व्यवहार को महसूस कर प्रत्युत्तर दे सकता है पर अप्रत्यक्ष रूप से गलत इरादे से निर्मित नकारात्मकता को कैसे समझे ?क्या करे? क्या समाधान ढूंढे? प्रश्न यही है । यह सब हमारे चिंतन से जुड़ा हुआ है चिंतन ही जीवन को दिशा प्रदान करता है। हम क्या सोचते है? कैसे सोचते है? मन में द्वंद्व सदैव चलता रहता है किसी ने जरा सी प्रशंसा कर दी हम खुश हो जाते है। किसी ने जरा सा कह दिया ‘भाई यह कुछ जमा नहीं …’ बस हम विचलित हो उठते है। जैसे हमारे प्रत्येक कार्य के लिए ऐसे नकारात्मक लोगों का प्रमाणपत्र जरुरी हो। जीवन में गतिशीलता और आगे बढ़ने के लिए सहज, सरलमना लोगों का साथ होना अत्यंत जरुरी है। जैसे निर्मल स्वच्छ जलधारा लहराती बलखाती कल कल नाद के साथ निर्बाध गति से आगे बढती रहती है। उसके बहाव के साथ रास्ते का कूड़ा कचरा भी साथ साथ चलते हुए कुछ समय बाद एक तरफ झाड़ झकाड़ों में उलझ कर रह जाता है और जलधारा जो स्वच्छ और निर्मल है आगे गतिमान रहती । युगों युगों से यही होता रहा है किसी भी क्षेत्र में, सामाजिक परिवेश में ,कार्यस्थल पर किसी न किसी रूप में असहमति विवाद का कारण बनती है ।जीवन इसी का नाम है। सबसे बचकर अपने लक्ष्य को हासिल करें सकारात्मकता को आत्मसात् करते हुए आगे बढ़े।मन कोमल है, मन चंचल है, मन तो भावनाओं के साथ बहता चलता है यह प्रत्येक मनुष्य को प्रभावित करता है। अपने मन को नियंत्रित करते हुए आगे बढ़ना ही जीवन की सार्थकता है वरना हम अपने जीवन में आये आनंद के उन क्षणों को भी खो देते है जिन्हें हमनें बड़े संघर्ष परिश्रम और योग्यता कौशल से प्राप्त किया है। नकारात्मक वातावरण, नकारात्मक लोग उस आनंद को गौण कर देते या यूँ कहे हम उसे भूलकर उनकी बातों पर अपना ध्यान केंद्रित कर लेते हैं । जिनका हमारे जीवन में हमारे लिए कोई महत्त्व ही नहीं होता यही हमारे अवचेतन में गहरे पैठ बना लेता है यही चिन्ता और तनाव का कारण बन जाता है। जिस ऊर्जा, आत्मविश्वास, दृढ़ता ,उमंग ,उत्साह को हमारे भीतर तरंगित होना चाहिए वहाँ हम सोचने लगते है …लोग क्या कहेंगे …लोग क्या कह रहे हैं ..ऐसी व्यर्थ की बातों में उलझने लगते है कभी इतना व्यग्र हो जाते है कि ऐसे लोगों के सामने स्वयं को व्याख्यायित करने लगते हैं जबकि इसकी कोई आवश्यकता भी नहीं होती अपने मन की चाबी हम किसी और को क्यों दें। जीवन को संतुलन और एकाग्रता से ही सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जिसको हम व्यर्थ के तनाव और चिन्ता में खर्च कर देते है यही विकास की गति और प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है मन की भटकन बढ़ जाती है। यह प्रक्रिया हमारे भीतर उसी तरह संचालित होती है जैसे शांत जल में कोई कंकड़ डाल दे उसमें हलचल होने लगती है यहाँ हम मन की बात कर रहे हैं उस पर भी आसपास के परिवेश जनसमुदाय या जिन व्यक्तियों के साथ हम अधिकांश समय व्यतीत करते है प्रभाव डालते है यही चिंतन का विषय है । छोटी छोटी खुशियां मन को समृद्ध बनाती है जैसे फूल को खिलते देखना ..प्रकृति को निहारना.. किसी की किसी भी रूप में मदद करना… मित्रों के साथ संवाद कर सकारात्मक वातावरण तैयार करना ..किसी की अच्छी बात को उल्लेखित या उसकी प्रशंसा करना घर परिवार और आसपास जितना बन सके सहयोग करना ये सभी बातें मन के लिए ट्रीटमेंट का कार्य करती हैं ।एक छोटी सी ख़ुशी से प्रफ्फुलित मन चाबी भरे खिलौने के समान द्रुतगति से दौड़ने लगता है आज इन्ही ख़ुशी के पलों को तलाशने और महसूसने की आवश्यकता है।जो मन को आनंद से सरोबार कर दे। अतः सहज जीवन जीने के लिए जरुरी है हम अपने ऊपर नकारात्मक बातों को हावी न होने दे ।अपने मन को नियंत्रित करें ।सकारात्मक बातों को ग्रहण करें और कर्तव्यपथ पर अग्रसर होते रहें। जो कुछ आपका अपना है उपलब्धि है या कुछ ऐसा कार्य जो आपको ख़ुशी प्रदान करता है जैसे किसी से बात करना, ,मिलना उस और ध्यान केंद्रित करें। सुख दुःख ,आशा -निराशा ,हास -परिहास , ईर्ष्या -द्वेष ,गम और ख़ुशी ,सफलता -असफलता, जीवन के ही अंग है कभी किसी का पलड़ा भारी तो कभी हल्का सबके साथ मन होता है।इसी मन को संभालते हुए स्वयं को तनाव रहित रखना बड़ी चुनौती होती है ।जिसने इसे साध लिया वही योगी कहलाता है। मन बहुत ही संवेदनशील भी है, मन की स्थितियाँ भी विविध यह महसूस करने की बात होती है।जैसे कोई कहता है ”आज इस घटना से मेरा मन ख़राब हो गया….उसने ऐसा कहा मन ख़राब हो गया… अरे !भई प्रश्न यही है किसी ने अपने मन के विकारों कुंठाओं को आपके ऊपर उड़ेल दिया वो तो मुक्त हो गया और आपके भीतर विचलन शुरू हो जाता है मन आपका है उसे अपने तरीके से नियंत्रित कीजिये सारी समस्याएं जड़ से समाप्त हो जाएँगी फिर देखिये कैसे ताजी हवा का झोंका आपके मन को खुशगवार बना देता है ।इस पर चिंतन ,मनन प्रत्येक मनुष्य के लिए जरुरी है।मन को नियंत्रित करना जरुरी है अन्यथा इन सबके बीच हमारा अमूल्य समय कब हाथों से फिसली रेत की तरह गुजर जायेगा पता भी नहीं चलेगा। खुश रहिये ,मन को खुश रखिये आनंदित होकर जीवन को सार्थकता सहजता और सरलता से व्यतीत कीजिये ।

डॉ अनिता वर्मा
संस्कृति विकास कॉलोनी 3
कोटा राजस्थान
324002

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