क्या राहुल गांधी ने दिल्ली के क्षत्रपों पर छोड़ दिया विधानसभा चुनाव!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी एक चुनावी जनसभा करने के बाद अचानक दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार से क्यों हट गए। यह सस्पेंस बना हुआ है और राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर इसकी चर्चा होने लगी कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद उसके लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी एक चुनावी सभा को संबोधित करने के बाद अचानक कहां गायब हो गए। कांग्रेस के हवाले से बताया जा रहा है कि राहुल गांधी की तबीयत ठीक नहीं है। उन्हें डॉक्टरों ने कुछ समय विश्राम करने की सलाह दी है, मगर क्या यह सही है। इस पर सस्पेंस बना हुआ है। मीडिया के भीतर चर्चा हो रही है कि क्या राहुल गांधी दिल्ली के नेताओं के रवैये से खुश नहीं है। राहुल गांधी दिल्ली में जिस अंदाज में चुनाव लड़ना चाहते हैं वैसा चुनाव दिल्ली के नेता लड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। इसीलिए शायद राहुल गांधी ने दिल्ली का चुनाव दिल्ली के नेताओं और कांग्रेस के क्षत्रपों के हाथों में सौंप दिया है।
राहुल गांधी देखना चाहते हैं कि कांग्रेस के छत्रपों में श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की अनुपस्थिति में कितना दम है। क्या यह छत्रप चारों बड़े नेताओं की गैर मौजूदगी में कांग्रेस को दिल्ली में चुनाव जीता सकते हैं। क्या राहुल गांधी घर में बैठकर यही सब कुछ देखना चाहते हैं।
लंबे समय से विभिन्न राज्यों के चुनाव में देखा गया है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जितनी मेहनत करते हैं चुनावी परिणाम उसके विपरीत आता है। वजह यह है कि इन चारों नेताओं के चुनावी जनसभाएं संबोधित करने के बाद कांग्रेस के क्षत्रप निष्क्रीय हो जाते हैं और मैदान को अपने प्रतिद्वंदियों के लिए खुला छोड़ देते हैं। इसकी मिसाल दिल्ली ही है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले राहुल गांधी ने दिल्ली में कांग्रेस का चुनावी माहौल बनाने के लिए, व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर जाकर उनकी समस्याओं को जाना। गृहिणियों के घरों पर जाकर उनकी समस्याओं को जाना। पूर्वांचल के परिवारों के साथ मकर संक्रांति का त्योहार मनाना। एम्स में जाकर मरीजो का हाल-चाल पूछा तो दिल्ली के मोहल्लों में जाकर जनता से उनकी समस्याओं को जाना।
उसके बाद जब दिल्ली के विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तब राहुल गांधी ने एक जनसभा को संबोधित कर चुनाव प्रचार का जोरदार आगाज किया। मगर इसके बाद अचानक राहुल गांधी की एक के बाद एक चुनावी सभाएं स्थगित होने लगी। तब चर्चा होने लगी की राहुल गांधी बीच चुनाव में कहां गायब हो गए। राहुल गांधी ही नहीं बल्कि मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी भी दिल्ली चुनाव में नजर नहीं आ रही हैं।
क्या राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव दिल्ली के नेताओं और कांग्रेस के छत्रपों के हवाले कर दिया है जो अपने आप को ताकतवर नेता बता कर वर्षों से कांग्रेस के भीतर सत्ता और संगठन की मलाई खा रहे हैं। क्या उन नेताओं को राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव को लेकर बड़ी चुनौती दी है। राहुल गांधी देखना चाहते हैं कि यह नेता जो कहते हैं क्या यह वास्तव में ताकतवर नेता हैं और यह नेता कांग्रेस को अपनी दम पर जीत दिलवा सकते हैं। शायद यही वजह है कि दिल्ली चुनाव में अशोक गहलोत, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की प्रेस कांफ्रेंस करवा कर मैदान में उतारा है। यही नहीं इनके अलावा भी और कई नेता है जिन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखा जा रहा है।
दिल्ली के नेताओं के रवैया का अनुमान दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस के द्वारा बनाए गए सॉन्ग से भी लगाया जा सकता है। इस गीत में दिल्ली के नेता अपना चेहरा चमकाते हुए नजर आ रहे हैं। खासकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव का चेहरा इस गीत में बार-बार नजर आ रहा है जबकि होना यह चाहिए था कि चुनाव से पहले दिल्ली में राहुल गांधी ने व्यापारियों के प्रतिष्ठान, पूर्वांचल के लोगों के साथ त्योहार मनाना, मोहल्ले में जाकर उनकी समस्याओं को सुनना और मरीजों से एम्स अस्पताल में जाकर मिलना इन तस्वीरों को प्रमुखता से दिखाना चाहिए था। मगर कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों ने और दिल्ली के क्षत्रपों ने यह सब नहीं दिखाया। सबसे ज्यादा दिखाया तो केवल देवेंद्र यादव का चेहरा। राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव को दिल्ली के नेता और कांग्रेस के क्षत्रपों के हवाले कर दिया। इसे पप्पू यादव के दोरो से भी समझना होगा। पप्पू यादव कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने के लिए दिल्ली आए और 2 दिन तक उन्होंने लगातार दिल्ली में ताबड़तोड़ जनसभाएं और रोड शो किए। मगर इसके बाद पप्पू यादव भी दिल्ली चुनाव से गायब हो गए। पप्पू यादव की जगह बिहार के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह दिल्ली आए और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जबकि कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों को इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया कुमार के अलावा पप्पू यादव को भी साथ में रखना चाहिए था। क्योंकि पूर्वांचल के लोगों के बीच में पप्पू यादव ने जाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया है। इसलिए पूर्वांचल के हित में जो घोषणा कांग्रेस ने की उसमें पप्पू यादव का रहना कांग्रेस के हित में था। उन दोनों नेताओं से अधिक होता। लेकिन सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव को दिल्ली और कांग्रेस के स्वयंभू क्षत्रपों के हवाले कर दिया की अब तुम बताओ कि तुम में कितनी दम है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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