ग्राम स्वराज को मूर्त रूप दिये बिना एवं ग्राम सभा को संवैधानिक मान्यता के बगैर गांवों का विकास अधूरा

दलिए एवं जातिय आधार से उन्मुक्त होकर किसानों को संगठित होने कि आवश्यकता

kisan

-जगदीश कुमार-

कोटा। हाड़ोती किसान यूनियन के सानिध्य में ग्राम विकास समिति की ओर देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख किसान संगठनों के प्रतिनिधियों सहित किसान हितैषी प्रतिनिधियों कि ओर से शुक्रवार को भामाशाह कृषि उपज मंडी कोटा में लगभग दस से बारह राज्यों के किसान संगठनों कि ओर से तीन दिवसीय वैचारिक चिंतन बैठक शुरू हुई। प्रथम सत्र में गांधी विचार से प्रतिबद्ध समग्र सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष सवाई सिंह के मुख्य उद्बोधन ग्राम सभा के सशक्तिकरण हेतु किसानो को दलिए एवं जातिय आधार से उन्मुक्त होकर किसानों को संगठित होने कि आवश्यकता बताई। प्रथम सत्र कि अध्यक्षता कर्नाटक के किसान नेता दयानंद पाटिल ने की। प्रथम सत्र कि चर्चा में बिहार,हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से सम्मिलित धिरेन्द्र पाल सिंह, दयाकिशन शर्मा, इरफान जाफरी, अजीत सिंह, गोपाल जी मोदानी, राजकुमार भारत, महिला प्रतिनिधि दलजित सिंह ढिल्लो ने विचार प्रस्तुत किए। प्रथम सत्र का संचालन किसान नेता दशरथ कुमार ने करते हुए कहा कि कोटा में आम सहमति से पारित प्रस्तावों को देश के किसान संगठनों के समक्ष रखें जाएंगे।
दूसरे सत्र में भारतीय किसान यूनियन अम्बावत के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल अम्बावत ने वैचारिक चिंतन बैठक में प्रमुख उद्बोधन में कहा कि देश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय ऐजडा बनाने कि आवश्यकता है जिसकी चर्चा रात्रि सत्र में निर्धारित है

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