
-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
हाड़ौती में बारां जिले में पुरासंपदा का बहुत बड़ा खजाना है। इस पुरासंपदा को सार संभाल के कारण कुछ हद तक तो बचा लिया है लेकिन बहुत ऐसे स्थल हैं जिनको जीर्णोद्धार की दरकार है।
पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक पुरासंपदा को देखने के लिए एक हजार साल पुराने मंदिर है लेकिन उनको इसकी दुर्दशा ही नजर आएगी। सबसे अधिक जीर्ण शीर्ण अवस्था में बारां का भंडदेवररा मंदिर है। इसे मिनी खजुराहो भी कहते हैं क्योंकि इस मंदिर के खंभों पर कामसूत्र की अनेकों मूर्तियां हैं। मंडप के मोटे मोटे पत्थर आए दिन गिरते रहते हैं। कुछ ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं।

मंदिर के 28 खंभों में कुछ को मरम्मत के जरिए रोका गया है। मैं 1975 से बराबर शोधार्थियों, पर्यटकों प्रेस मीडिया और पुरा संपदा के शौकीन परिवारों को यहां लेकर आता रहा हूं। कई बार कॉलेज के ग्रुप भी लेकर आया हूं।
इस शिव मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ रहती है। सावन के महीने में दूर दूर से पर्यटक आते हैं। यहां आने के लिए किसन गंज से दूसरा मार्ग मांगरोल से है।

10 वीं शताब्दी के इस मंदिर को राजा मलय वर्मा ने बनवाया। इनके पौत्र राजा त्रिशाद वर्मा ने 1162 ई में इसमें निर्माण करवाया था। यहां ओर भी मंदिर थे। इनमें सभी क्षतिग्रस्त हो गए। इनके अवशेष देखे जा सकते हैं।
चारों ओर पहाड़ियों से घिरा ये भाग इन दिनों हरियाली से भरपूर है। पहाड़ी पर माता का मंदिर है। यहां विशाल तालाब है। पहाड़ पर ही पुराने किले के खंडर दिखाई देते हैं। पहाड़ी पर बने मंदिर और किले का जीर्णोद्वार किया गया हे। लगभग 8 स्वागत द्वार बने हैं। पार्किंग स्थल और नया देवनारायण मंदिर है।

यहां के तालाब में शीत ऋतु में विदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इन पक्षियों को देखने भी पक्षी प्रेमी आते हैं।