कचरा पात्र बन गई है कोटा के शहरी इलाके से गुजरनें वाली नहरें, किसानों से बिल्ड़रों के हाथों में पहुंची

पूरे जिले का ही नहीं बल्कि कोटा संभाग का बड़ा प्रशासनिक अमला कोटा में मौजूद होने के बावजूद नहरी क्षेत्र के आसपास विकसित कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने शहर के विभिन्न हिस्सों में से होकर गुजर रही नहरों को कचरापात्र में तब्दील कर लिया कर दिया है और सीएडी ही नहीं बल्कि कोटा नगर निगम के अधिकारी इन सब को देख रहे हैं लेकिन चुप्पी साधे हुए है

bharat singh

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में चंबल नदी पर स्थित कोटा बैराज से निकली दाएं और बाएं मुख्य नहरों के संबंध में आज चंबल सिंचित क्षैत्र विकास प्राधिकरण (काड़ा) की बैठक में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले किये गये जिनमें 15 अक्टूबर से कोटा बैराज की दोनों मुख्य नहरों से पानी छोड़ना था लेकिन नहरी इलाके में अतिक्रमण व नहरों को कचरा बना दिये जाने का मसला भी पुरजोर तरीके से उठाया गया।

कृष्ण बलदेव हाडा

चंबल सिंचित क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काड़ा) की आज क बैठक में कोटा-बूंदी जिलों में नहरी क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण का मसला सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने पुरजोर तरीके से उठाया। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि पूरे जिले का ही नहीं बल्कि कोटा संभाग का बड़ा प्रशासनिक अमला कोटा में मौजूद होने के बावजूद नहरी क्षेत्र के आसपास विकसित कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने शहर के विभिन्न हिस्सों में से होकर गुजर रही नहरों को कचरापात्र में तब्दील कर लिया कर दिया है और सीएडी ही नहीं बल्कि कोटा नगर निगम के अधिकारी इन सब को देख रहे हैं लेकिन चुप्पी साधे हुए है।

नहरी सिंचित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां विकसित करने पर कड़ी आपत्ति जताई

श्री भरत सिंह ने नहरी सिंचित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां विकसित करने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई करोड़ो-अरबों रुपए खर्च करके कोटा,बूंदी,बारां जिलों में चम्बल सिंचित नहरी तंत्र का जाल बिछाया और उसके बाद असिंचित क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में बदलकर यहां के कृषकों के घरों में खुशहाली लाने की कोशिश की लेकिन सरकारी महकमों की लापरवाही-अनदेखी के चलते कॉलोनाइजरों ने बड़े पैमाने पर इस बेशकीमती सिंचित क्षेत्र में कृषि भूमि खरीद कर वहां बिना अनुमति के या तो अपनी ऊंची-ऊंची अट्टालिकाएं खड़ी कर दी या फिर आवासीय कॉलोनियों के लिए प्लानिंग काट दी व उनका नियमन भी हो गया जबकि सरकारी एजेंसियों को यह देखना चाहिए था कि जिस बंजर भूमि को विकसित करने के लिए सरकार के करोड़ों-अरबों रुपए की लागत आई है, वहां कॉलोनाइजरों नें अपने आर्थिक हितों के साधते हुए ना केवल कृषि क्षेत्र को बर्बाद किया है बल्कि कोटा शहर को अनियोजित विकास के अंधेरे रास्ते पर धकेल दिया। श्री भरत सिंह ने यह भी कहा कि यही नही नहरी क्षेत्रों के आसपास आवासीय क्षेत्र विकसित हो जाने के कारण वहां रहने वाले लोगों ने नहरों को कचरा पात्र समझ लिया है जिनमें न केवल वहां के रहवासी बल्कि साफ-सफाई व्यवस्थाओं से जुड़े नगर निगम जैसी संस्थाओं के कर्मचारी तक कूड़े-कचरे को नहरों में डाल रहे हैं और समूचा सरकारी तंत्र यह सब होते हुए देख रहा है लेकिन इसकी रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं।

बैठकों में सीएड़ी मंत्री को भी भाग लेना चाहिए
एक ओर कोटा को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है जबकि वही दूसरी ओर कोटा शहर के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों में होकर गुजर रही नहरों और वितरिकाओं को कूडा पात्र बना कर रख दिया गया। उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि काडा की बैठक के लिए जयपुर से भी प्रशासनिक अधिकारियों से आने का प्रावधान है लेकिन पिछले काफी समय से कोई भी अधिकारी इन बैठकों में भाग नहीं ले रहा है जिसके कारण कई महत्वपूर्ण फैसलों पर अमल नहीं हो पाता। उन्होंने बैठक में यह भी मांग की थी ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के अलावा सीएड़ी मंत्री को भी भाग लेना चाहिए ताकि बैठक में दिए जाने वाले फैसलों पर दृढ़तापूर्ण तरीके से अमल किया जा सके।

अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करें कॉलोनाइजर
इसी बैठक में बाद में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया कि चंबल नदी सिंचित क्षेत्र में कॉलोनाइजरों द्वारा विकसित की जा रही कॉलोनियों के नियमन से पहले कॉलोनाइजर नई कॉलोनी विकसित के लिये चंबल सिंचित क्षेत्र विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करें ताकि कॉलोनी को विकसित किए जाने से पहले जिस स्थान पर यह बनाई जाने वाली है, उसे असिंचित क्षेत्र घोषित किया जाए। इसका वह कॉलोनाइजर से शुल्क वसूला जाए। इसका एक उद्देश्य कोटा शहर के आसपास के नगरीय क्षेत्र में हो रहे अनियोजित विकास को नियंत्रित करना भी बताया जा रहा है क्योंकि आमतौर पर होता यह है कि कॉलोनाइजर किसानों से सिंचित क्षेत्र में जमीन खरीद कर वहां या तो प्लानिंग काट देता है या अपने ही स्तर पर कॉलोनी विकसित करना प्रारंभ कर देता है और कोटा नगर विकास न्यास में इसके नियमन की प्रक्रिया वह बाद में शुरू करता है। इसके लिए अभी तक कॉलोनाइजर की ओर से चंबल सिंचित क्षेत्र विकास विभाग(सीएड़ी) से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की कोई व्यवस्था को अमल में नहीं लाया जा सकता है और कॉलोनाइजर अपनी मनमर्जी से कोटा के आसपास कृषि क्षेत्र की उपजाऊ जमीनों पर कॉलोनियां विकसित करते आ रहे हैं और अब तक यहां सीमेंट-कंक्रीट का विशाल जंगल खड़ा हो गया है।

नियमों का उल्लंघन

बैठक के बाद सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने एक बातचीत में कहा कि सरकार ने जो नियम बना रखे हैं कि नहर से 30 से 40 मीटर की दूरी पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए। उसके बावजूद निर्माण कार्य किया जा रहा है और शहर को ही लोग नहरों को गटर में तब्दील कर रहे हैं जो उचित नहीं है।
उन्हे मलबे के ढेर में तब्दील किया जा रहा है उसे समझने की आवश्यकता है क्योंकि यह गलत है और सरकारी एजेंसियों को भी इस बात को समझना चाहिए कि जब कोटा शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जाना है तो इस तरह की गतिविधियों को हर स्थिति में रोका जाना चाहिए।

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